Wednesday, December 28, 2022

शौर्य गाथा : Pure Love


 भाईसाहब अपने मामा के यहां गए हैं और पापा को एक दिन में ही उनकी याद सताने लगी है. पापा उन्हें वीडियो कॉल करते हैं, वो खेल में मग्न हैं. उन्हें दोस्त मिल गए हैं, ममेरे भाई बहन के साथ ढेरों खेल खेल रहे हैं. वे अपने खिलौने दिखाते हैं, भाई बहन से मिलवाते हैं पापा ये... पापा ये... कह कर वीडियो कॉल पर बता रहे हैं. पापा उन्हें देखते हैं और फोन रख देते हैं.


पापा ने उनके पुराने वीडियो देखना शुरू कर दिए हैं और देखकर लग रहा है कि क्या सच ये बच्चा इतना छोटा भी था! शायद एक साल बाद आज के शौर्य के फोटो वीडियो देखकर यही लगे. बच्चे पंख लगाकर उड़ते हैं, तीव्रता से बड़े होते हैं... इतनी जल्दी की हम बस पलक झपकाते हैं और वो बढ़ जाते हैं.

मुझसे किसी ने कहा था कि जब आपकी संतान अपको प्यार करेगी तब आपको Pure Love के मायने पता चलेंगे. हालांकि उस उम्र में मैंने ये नहीं समझा था लेकिन अब पैरंटहुड के फेज में हूं तो वो बात अक्षरश सही लगती है। महज शौर्य 'पापा... पापा...' दिनभर चिल्लाते रहते हैं, पापा के बिना सोते नहीं हैं, जागते ही पापा चाहिए, पापा ऑफिस से आए नहीं को खुश होकर उनके पांव से लिपट 'पापा आ दए... आ दए...' कह कर खुश होना, दौड़ना.... सब, सब प्रेम के मायने सिखाने काफी है।

एक बार मैं निधि से पूछता हूं ' You know, what is love?' वो मुस्कुराकर गोद में बैठे शौर्य की ओर इशारा करती है ' ये... ये...' शौर्य भी अपनी तरफ उंगली कर खुश हो जोर जोर चिल्ला रहे हैं ' मम्मा ये... ये... '

#शौर्य_गाथा

Wednesday, December 21, 2022

शौर्य गाथा : Papa's Notes 1

 तुम्हारे हथेलियों में समा जाने वाले छोटे छोटे हाथ. ऑफिस से लौट आते ही पापा पापा कह चिपक जाना. हर एक चीज के लिए पापा को बुलाना. तुम ना होते तो जीवन में इतना खुश न होता. ये Phase जिंदगी का कभी जी ही नहीं पाता. तुमने यूं आकर जीवन को खूबसूरत बना दिया है कि सोच ही नहीं पाता हूं कि पहले जब तुम नहीं थे तो उस वक्त हम जी कैसे रहे थे! 


तुम्हारे रोने में अंदर से खुद रोने लगता हूं, तुम्हारे हंसने में सबकुछ हंसता सा लगता है. 


तुम्हारी जितनी उम्र के जितना ही बड़ा पिता हूं मैं. तुमने मुझे सिखाया है समझदार होना, थोड़ा सा ज्यादा Kind होना, थोड़े अपनी खुद की केयर अधिक करने लगा हूं, थोड़ा ज्यादा सा जीने लगा हूं.


Child is Father of Man (William Wordsworth) के मायने धीमे धीमे समझ आने लगे हैं। थोड़ा थोड़ा तुमसा होना चाहता हूं. तुम्हारे जितना ही मासूम... बिल्कुल 21 महीने के तुम्हारे जितना मासूम होना चाहता हूं.


#शौर्य_गाथा #पापाकेनोट्स Papa's Notes

Saturday, December 17, 2022

Avatar and Beyond...

 


अवतार पूरी ट्रिब्यूट लगी थी अमेरिका एशिया अफ्रीका के लिए, जब पहली बार 2009 में देखा था. उस वक्त कोलोनियल हिस्ट्री की इतनी समझ नहीं थी. लेकिन जो थी, जितना समझता था वह मेरे दृश्य पटल पर उग आ रहा था. 

 नॉर्थ अमेरिका... मरते नेटिव रेड इंडियंस, बढ़ती यूरोपियन कॉलोनीज, खनिज, अयस्कों का दोहन, वनों की सफाई... वाइल्डलाइफ का धीमा खात्मा...

अफ्रीका... गोल्ड कोस्ट (Gold Coast), आइवरी कोस्ट (Ivory Coast) , स्लेव कोस्ट (Slave Coast), ग्रेन कोस्ट (Grain Coast)... साउथ अफ्रीका... 20% गोरों के पास 80% भूमि... 80% संसाधन (Resources)...

इंडिया...लूट खसोट, मार-काट... 1857 विद्रोह... बहादुर शाह जफर के बेटों के थाली में परोसे गए सिर... निर्माण हत्याएं... तीर कमान लिए लड़ते, ब्रिटिश गोलियों से भूने जाते हजारों संथाल... मात्र 17 साल के लड़के खुदीराम बोस का फांसी पर झूलता मृत शरीर... और जाने क्या-क्या...

अवतार में पंडोरा ग्रह वासियों का जो प्रकृति से कनेक्शन था वह मुझे अफ्रीका के ट्राइब्स का... भारतीय संस्कृति का, नेटिव इंडियंस का प्रकृति के अत्यधिक करीब होना याद दिला रहा था...

अवतार एक बहुत बड़े कैनवास पर बनाई गई कोई पेंटिंग सी है. जो नीले रंग में कोलोनियल हिस्ट्री में झेली यातनाओं के सुर्ख लाल रंग को बखूबी प्रदर्शित करती है.

अवतार-2 (Avatar: The Way of Water) उस कैनवास का एक्सपेंशन बस लगती है. इसलिए जब मेरे साथ फिल्म देखने गई मेरी सासू मां कहती हैं कि 'मुझे ज्यादा समझ नहीं आ रही है' तो मैं बस कहता हूं कि :जो नीली आकृतियां हैं उन्हें भारतीय मान लीजिए और जो इंसानी आकृतियां हैं उन्हें ब्रिटिश राज... अपको समझ आने लगेगा.'

 मैं कटनी में हूं. फिल्म देख कर बाहर निकलते लॉर्ड स्लीमन आंखों के सामने दिखने लगता है. लाशें... पेड़ के दोनों ओर लटकी ठगी बंजारे पिंडारियों की कई सौ लाशें... कटनी का मुड़वारा स्टेशन आंखों के सामने घूमने लगता है... 1857 के विद्रोहियों के इतने नरमुंड पेड़ों पर लटके पड़े हैं कि इस जगह का नाम ही मुड़वारा पड़ गया है! विजयराघौगढ़ किले में धंसी गोलियां... लाशों से बना टीला... राजा सरजू प्रसाद सिंह का मृत शरीर... सब आंखों के सामने घूम गया है.

अवतार, अवतार-2 बस ग्राफिक्स, विजुअल्स के लिए ही नहीं देखी जानी चाहिए. ये फिल्में डॉक्यूमेंटेशन है मनुष्यता के साथ किए गए अपराध का, मानव के लालच का, दासप्रथा का, जुल्मों का और उससे अधिक उठ खड़े होने वाले उन चंद लोगों का जो जुर्म के खिलाफ खड़े हुए लड़े भिड़े और अनजान मौत ही मर गए.

Friday, December 16, 2022

शौर्य गाथा : Replies


 भाईसाहब ने पहला प्रयुत्तर (Reply) दिवाली के समय अक्टूबर में दिया था. जब इनसे पूछा गया कि खाना कैसा लग रहा है, भाईसाहब ने अप्रत्याशित रूप से कहा 'अच्छा'. हम सब दादा-दादी, पापा-मम्मा, चाचा-चाची, छोटू चाचू बहुत हंसे. अब भाईसाहब दो महीने बाद कुल इक्कीस महीने के हो गए हैं और हाथों में नहीं आते हैं. बोलना तो इतना लगे हैं कि हर प्रश्न का जवाब इनके पास होता है. मसलन पूछो 'क्या खाओगे?' जवाब आएगा 'दूद बिस्सिट' (दूध बिस्किट). 'क्या ये गेम खेलेंगे?' 'नहीं.. पापा नहीं...' और जाने क्या क्या... 

एक बार तो हद हो गई. भाईसाहब पापा मम्मा के साथ मार्केट गए थे. लौट कर आए और मम्मा से बोले 'की..स.., की..स..' (Keys) मतलब इन्हें घर की चाबियां चाहिए. मम्मा ने चाबी दे दी है, अब भाईसाहब दरवाज़े पर जाते हैं, Keyhole इनकी रीच में है ये कोशिश कर रहे हैं खोलने की. पापा मम्मा बेचारे बैग्स हाथ में लिए ठंड में बाहर खड़े हैं. पापा थोड़ा इरिटेट होकर बोलते हैं 'अरे यार शौर्य ऐसा नहीं करो.' लंबा वाक्य था, हम सोच रहे थे कि प्रत्युत्तर में भाईसाहब वही का वही वाक्य दोहरा देंगे लेकिन भाईसाहब का जवाब होता है 'आले याल पापा.. ए..छा.. नई कलो' हम लोगों का हंस-हंस कर बुरा हाल है और भाईसाहब वही दरवाजा खोलने में तल्लीन हैं.

#शौर्य_गाथा

Thursday, December 8, 2022

शौर्य गाथा : Parents' Struggle 2


 सुबह के नौ बज रहे हैं पापा मां ऑफिस के लिए तैयार हो रहे हैं. ब्रेकफास्ट में परांठे और दही है. पापा-मम्मा खाना शुरू करते हैं, अभी-अभी जागे भाईसाहब पूरे घर के एक-दो राउंड लगाने के बाद पास आते हैं. बोलते हैं 'ये चा.. इये...' पापा उन्हें उठाकर उनकी चेयर पर बिठा देते हैं. भाईसाहब की थाली लगाते हैं, परांठे का टुकड़ा मुंह में डालते हैं. भाईसाहब कौर उगल देते हैं. कहते हैं 'नइ पापा..नइ..' मतलब उन्हें ये नहीं खाना है. अब भाईसाहब के हाथ में चम्मच है और भाईसाहब शुरू हो गए हैं. टारगेट सिर्फ दही है. दही इनका फेवरेट है. आधा दही मुंह में, आधा कपड़ों पर है. बिलकुल कान्हा लग रहे हैं. पापा बोलते हैं 'बिल्कुल कन्हैया कुमार लग रहे हो.' मम्मा पापा को टोकती है 'नो पोलिटिकल टॉक एट होम.' पापा को एहसास होता है कि गलती से उन्होंने राजनेता का नाम ले दिया है पापा गलती सुधारते हैं 'बेटा बिल्कुल माखनचोर लग रहे हैं. ठीक है शौर्य?' :D भाईसाहब बोलते हैं 'ती..क... है'

छोटे से कान्हा कि हरकतें देख देख ख़ुशी तो बहुत हुई है लेकिन समय इतना हो गया है कि पापा-मम्मा बेचारे तेज़ी से तैयार हुए हैं, जल्दी जल्दी भाईसाहब को नहलाया गया है और बेचारे पापा बिना नहाये ही ऑफिस निकल गए हैं. गीज़र चालू छूट गया है, जिसके लिए शाम में बेचारी मम्मा को नानी की डांट पड़ती है.

#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : Parents' Struggle


 रात के साढ़े ग्यारह बज रहे हैं, मां पापा दोनों को नींद आ रही है और भाईसाहब अभी भी एक्टिव हैं. सीलिंग फैन की और इशारा कर बोलते हैं, 'पापा, वो?' पापा उन्हें बताते हैं कि 'ये फैन है, गर्मी में काम आता है.' अब वो दूसरे फैन की और इशारा करते हैं 'पापा. वो?' पापा फिर वही जवाब दोहराते हैं. अब ये अपने छोटे-छोटे पांव से बेड से नीचे उतर ठन्डे फ्लोर पर आ गए हैं. पापा उन्हें मोज़े पहनने के लिए कहते हैं वो जवाब देते हैं, 'नहीं पापा, नहीं.' पापा उन्हें पकड़ कर फिर से बेड पे रखते हैं, भाईसाहब फिर से पूरी ताकत लगाकर अपने को पापा से छुड़ा लेते हैं और फिर से वही काम शुरू. 

बेचारे पापा-मम्मा को डर है कि इन्हें सर्दी न हो जाये. भाईसाहब को बेड पे चढ़ाने की वही कोशिश मम्मा भी दो बार करती हैं और मामला सिफर रहता है. इन्होंने आईने में खुद को देखना शुरू कर दिया है. खुद को देखकर कहते हैं 'पापा, वो?' पापा जवाब देते हैं कि 'ये आप हैं.' भाईसाहब अपनी छोटी सी उंगली मुंह पर रखकर बोलते हैं 'अच्छा...'

पापा दूध गर्मकर लाते हैं, मम्मा बार-बार मोज़े पहनाती है. भाईसाहब न दूध पीते हैं, न मोज़े ही पहनते हैं. 

अंत में थककर मम्मा रूम की लाइट बंद कर देती है और बोलती है 'लाइट गई शौर्य.' भाईसाहब अँधेरे में ही बोलते हैं 'पापा लाइ.. त... गई... लाइ.. त...'

पापा उन्हें उठाते हैं, रजाई में छिपाते हैं और कहते हैं 'बेटा, अँधेरा हो गया है अब सो जाओ.' भाईसाहब 'ओते पापा' कहते हैं.

पापा घडी देखते हैं. भाईसाहब को सुलाते सुलाते डेढ़ बज गया है. मम्मा बेचारी इम्पोर्टेन्ट फाइल पढ़ सुबह चार बजे सोती है.

#शौर्य_गाथा 

Monday, December 5, 2022

शौर्य गाथा : mountaineer Shaurya

 


भाईसाहब माउंटेनियर हैं. बड़े होकर एडमंड हिलेरी या मध्यप्रदेश गौरव मेघा परमार बनेंगे. चाचू जब भी आते हैं उनके साथ क्लाइंबिंग शुरू कर देते हैं. चाचू के पैर-पिट्ट पर से चढ़ कंधे तक जायेंगे और बस फैन, हैंगिंग लैंप आदि छूने की कोशिश करेंगे.

थो.. तू.. तातु.. तलो..' (छोटू चाचू... चलो) और शुरू हो जाते हैं. बिचारे चाचा थक जाएं लेकिन भाईसाहब का एनर्जी लेवल कम नहीं होता है.

 चाचू के बचपन से भाईसाहब की हरकतें इतनी मिलती- जुलती लगती हैं कि कोई भी कह सकता है कि ये चाचू के पक्के वाले भतीजे हैं.

#शौर्य_गाथा

Friday, December 2, 2022

भोपालनामा 11

         'यूनियन कार्बाइड' से तबाह और उससे ज्यादा खूबसूरती से आबाद हुए भोपाल से ज्यादा खूबसूरत जगह मिले तो बताना.

                         भोपाल तुम शहर नहीं, कुछ मरे और कुछ जिंदा लम्हों की निशानी हो, जिन्हें याद करके मैं फिर से जीने की तमन्ना जगाता हूँ, कहीं भी, किसी भी अजनबी शहर में. हर शहर में मैं अपना भोपाल बसा लेता हूँ!

                        इस शहर में फिर मौत आये तो मैं कहूँगा, 'रात में ही आना' क्यूंकि जागते रहे तो हमारे जिंदा रहने के इरादे जज़्ब नहीं होंगे और मौत यक़ीनन तुझे भागना पड़ेगा. 


02.12.2013. #Bhopal,  #Bhopal_Gas_Tragedy (2-3 Dec Night 1984 )

शौर्य गाथा : सीताफल

 


पापा ऑफिस से आए हैं, भाईसाहब सो रहे हैं. कुछ देर में भाईसाहब जागते हैं और पापा को hug कर लेते हैं. उन्हें जागते ही पापा पर बहुत लाड़ आ रहा है.

पापा अब तक की सबसे टफ टास्क - भाईसाहब को गोद में लेकर सीताफल खिलाने में संलग्न होते हैं. हर पॉड के बीज से दल को अलग कर भाईसाहब को खिलाना होता है. साथ में पापा भी खा रहे हैं. दोनों मिलकर 4-5 सीताफल चट कर जाते हैं.

मम्मा ऑफिस से आती है, दृश्य देख पापा को डांट पड़ती है. भाईसाहब को सर्दी जल्दी हो जाती है और शाम में सीताफल खिलाया जा रहा है! थोड़ी थोड़ी सर्दी तो उन्हें अभी भी है.

भाईसाहब मम्मा के पास जाते हैं और मम्मा से सीताफल की ओर हाथ से इशारा कर बोलते हैं मम्मा 'औल ताहिए.' पापा की हंसी निकल जाती है, मम्मा उन्हें लुक देती हैं.

रात में भाईसाहब को खांसी होती है, पापा पर डांट पड़ती है. अगले दिन डॉक्टर साहब सर्दी खांसी का कारण शाम में फल खाना बोलते हैं, पापा पर फिर डांट पड़ती है. दो दिन बाद दादू आते हैं, भाईसाहब को बीमार देखते हैं और पापा को फिर डांट पड़ती है.

पापा अकेले में भाईसाहब के पास जाते हैं उनसे रिक्वेस्ट करते हैं को बेटा आप जल्दी ठीक हो जाओ नहीं तो मैं डांट ही खाता रहूंगा. भाईसाहब बोलते हैं 'ओते पापा.'

बेचारे पापा ने घर में सीताफल लाने से ही तौबा कर लिया है.

#शौर्य_गाथा