Monday, February 4, 2019

निज़ार क़ब्बानी की कविताएँ (अनुवाद : पूजा प्रियंवदा)


Nizar Qabbani 5 poems
निज़ार क़ब्बानी

प्यार की तुलना

मेरी प्रिय, मैं तुम्हारे दूसरे प्रेमियों जैसा नहीं हूँ
यदि दूसरा दे तुम्हें एक बादल
मैं तुम्हें देता हूँ बारिश
यदि वह दे तुम्हें एक लालटेन, मैं
दूँगा तुम्हें चाँद
यदि वह देगा तुम्हें एक डाली
मैं दूँगा तुम्हें पेड़
और अगर दूसरा तुम्हें देता है एक जहाज़
मैं दूँगा तुम्हें सफ़र

मैं दुनिया जीतता हूँ शब्दों से

मैं दुनिया जीतता हूँ शब्दों से
मैं मातृभाषा को जीतता हूँ
क्रियाएँ, संज्ञाएँ, वाक्य-विन्यास…
मैं चीज़ों के आरंभ को बुहार देता हूँ
और एक नई भाषा के साथ
जिसमें है पानी का संगीत, आग के संदेश
मैं आने वाली सदी को जलाता हूँ
और तुम्हारी आँखों में रोक लेता हूँ समय
और मिटा देता हूँ वह रेखा
जो अलग करती है
वक़्त को इस एक लम्हे से

जब मैं करता हूँ मोहब्बत

जब मैं करता हूँ मोहब्बत
मुझे महसूस होता है—
मैं वक़्त का शहंशाह हूँ
मेरा अधिकार है धरती और इसकी समस्त वस्तुओं पर
मैं अपने घोड़े पर जाता हूँ,
सूरज की ओर
जब मैं करता हूँ मोहब्बत
मैं बन जाता हूँ एक तरल रोशनी
जो आँख को नहीं दिखती
और मेरी कॉपियों में लिखी कविताएँ
बन जाती हैं छुईमुई और खसखस के खेत
जब मैं करता हूँ मोहब्बत
पानी मेरी उँगलियों से यकायक बह निकलता है
मेरी जीभ पर घास उग आती है
जब मैं करता हूँ मोहब्बत
मैं हो जाता हूँ सारे वक़्त के बाहर का वक़्त
जब मैं करता हूँ एक औरत से मोहब्बत
सारे पेड़,
मेरी और दौड़ पड़ते हैं नंगे पाँव

भाषा

जब एक आदमी होता है इश्क़ में
वह कैसे इस्तेमाल कर सकता है पुराने शब्द?
क्या एक औरत
अपने प्रेमी को चाहती हुई
सो जाए—
व्याकरणविदों और भाषाविदों के साथ?
मैंने कुछ नहीं कहा
उस औरत से जिससे प्रेम करता था
पर इकट्ठे किए एक सूटकेस में
प्रेम के सभी विशेषण
और सभी भाषाओं से भाग गया

रोशनी क़ंदील से ज़्यादा ज़रूरी है

रोशनी क़ंदील से ज़्यादा ज़रूरी है
कविता नोटबुक से ज़्यादा ज़रूरी है
और चुंबन होंठों से अधिक सार्थक
मेरे तुमको लिखे ख़त
हम दोनों से अधिक महान और महत्वपूर्ण हैं
वही अकेले दस्तावेज़ हैं जहाँ
लोग खोज निकालेंगे
तुम्हारा हुस्न
और मेरी दीवानगी
***
निज़ार क़ब्बानी (21 मार्च 1923–30 अप्रैल 1998) अरबी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि हैं। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ sadaneey.com से ली गई हैं।