Tuesday, November 29, 2022

शौर्य गाथा : Kisses



भाईसाहब पापा की गोद में बैठे हुए हैं. मम्मा को ऑफिस से आने में देरी हो गई है, तब तक पापा भाईसाहब का मन बहला रहे हैं. मम्मा आती है, भाईसाहब दौड़ के मम्मा की गोदी चढ़ जाते हैं, गले में हाथ डाल लेते हैं. मम्मा बहुत सारी चुम्मी देती है, भाईसाहब मम्मा के गाल हाथों में ले लाड़ जताते हैं. फिर भाईसाहब एक हाथ मम्मा के गले में ही डाल, दूसरे हाथ से पापा को पास बुलाते हैं. पापा पास आते हैं, भाईसाहब अपना हाथ पापा के गले में डालते हैं और अपना गाल पापा की तरह कर बोलते है 'ये...ये...' मतलब आप भी चुम्मी लो मेरी.

फिर पापा मम्मा एक साथ दोनों गालों पर चुम्मी देते हैं और भाईसाहब खुश हो जाते हैं.

#शौर्य_गाथा

Sunday, November 27, 2022

शौर्य गाथा : Shaurya's Dadu, Dadu's Shaurya




भाईसाहब के दादू आए हैं. अब वो मम्मा पापा को भी भूल गए हैं. अगर उन्हें साइकिल से उतरना है तो भले ही मम्मा पापा पास हों, आवाज आती है 'दा..दू...' बाहर झूले पे जाना है तो भी दादू ही लेकर जाएंगे, ग्राउंड में साइकिल चलाना है तो भी आवाज दादू को ही दी जायेगी 'दादू त..ओ.., दादू त..ओ...'


दादू भी उन्हें खुद की थकान भूलकर घुमाते रहते हैं.

कभी-कभी भाईसाहब पापा नाम लेकर 'वि..देत...' बोलते हैं अब दादू को भी उनसे क्यूट और तोतली आवाज में अपना नाम सुनने की इच्छा है. चाचू उन्हें दादू का नाम लेना सिखा रहे हैं. वो 1-2 दिन में सीख भी गए हैं. अब उन्हें किसी बात पर दादू की जरूरत है, वो चिल्लाते हैं 'दा..दू...' दादू सुन नहीं पाते हैं तो जोर से चिल्लाते हैं 'दादू... दा..दू... वि.. ब.. ल...' हम सब लोटपोट हो रहे हैं. चाचू और पापा को हंस हंसकर पेटदर्द हो गया है.

दादू ने भाईसाहब को खुशी से गोद में उठा लिया है और ढेर सारा प्यार कर रहे हैं और भाईसाहब की हंसी रूक नहीं रही है.

#शौर्य_गाथा

Saturday, November 26, 2022

शौर्य गाथा : Children's Day


 हल्के जाड़े वाली बड़ी खुशनुमा सी सुबह है. भाईसाहब की गुडमॉर्निंग हो गई है. जागते ही स्माइल करते हुए बोलते हैं, 'पापा...' सुबह और खुशनुमा लगने लगती है.

मैं उन्हें उठाकर Hug करता हूं और दो तीन बार चूमने के बाद बोलता हूं 'हैप्पी चिल्ड्रें'स डे बच्चा.' वो बदले में गले के दोनों तरफ बाहें डाल देते हैं, फिर बोलते है 'पापा... प्याये पापा...' अब सुबह और भी अधिक खूबसूरत लगने लगती है. जैसे सूरज लालिमा लिए धीमे धीमे आसमान चढ़ रहा हो, जैसे हवाओं संग कमरे में खुशबू फैल गई हो.'
मैं मुस्कुराते हुए लगभग उन्हीं के लहजे में बोलता हूं 'हम्म...' वो गर्दन मटका कर बोलते हैं 'पापा पुट्टी आई... पुट्टी (Potty).'
... और पापा को एहसास होता है कि हवाओं में जो फैल रही थी, वो खुशबू नहीं थी, कुछ और था।😀😄

Friday, November 25, 2022

शौर्य गाथा : 'वि.. देत.. पानी ताओ'

 


भाईसाहब को रात 8 बजे से 10 बजे तक सुलाने की पूरी कोशिशें की जा चुकी हैं लेकिन भाईसाहब तो भाईसाहब हैं. 'यदा मनः तदा कर्म.' इसलिए वो उछल कूद में ही लगे हुए हैं.

अब मम्मा उन्हें कुछ खिला रही हैं, पापा मम्मा को दृश्यम-2 देखने जाना है इसलिए दृश्यम के रिवीजन के लिए टीवी साथ में देखी जा रही है.

मम्मा पापा बोलती हैं, 'यार विवेक, इन्हें पीने पानी ले आओ न.' पापा अजय देवगन की 'दो अक्टूबर वाली कहानी' में उलझे हैं, टीवी पर आंख गड़ाए रहते हैं.

अब भाईसाहब मम्मा की गोदी से उठते हैं, पापा के पास आते हैं, पापा का हाथ पकड़ते हैं और तेज आवाज में बोलते हैं 'वि.. देत.. पानी ताओ... पानी...'

पापा मम्मा की हंसी छूट जाती है. पापा पानी लाते हैं, भाईसाहब अपनी छोटी सी चोंच डालकर पानी पीते हैं. पापा उनसे पूछते हैं 'ठीक है?' भाईसाहब बोलते है 'ती..क... है'

रात 11.30 बज गए हैं. भाईसाहब अपनी कार पे बैठ हॉल में घूम रहे हैं, पापा मम्मा उनके थकने का इंतजार कर रहे हैं.

#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : पा..पा.., पा..पा.. वि.. देत..



 इनकी मम्मा मुझे आवाज दे रही हैं 'विवेक... विवेक...' मैं मोबाइल में घुसा हुआ हूं इसलिए सुन नहीं पाता हूं. इतने में भाईसाहब एक्टिव हो जाते हैं. दूर से चिल्ला कर कहते हैं 'वि.. दे.. त.. मम्मा बुलाई.' मैं उनके बोलने पर हंस देता हूं लेकिन जानबूझकर इग्नोर करता हूं तो ये फिर से आवाज देते हैं 'विदे.. त.. मम्मा बुलाई' अब मैं इनकी ओर देखता हूं और भाईसाहब क्यूट सी स्माइल करते हुए कहते हैं 'पा..पा.., पा..पा.. वि.. देत..'

अब मम्मा इन्हें मोरल एजुकेशन का पाठ पढ़ाती हैं, 'पापा को पापा कहते हैं नाम नहीं लेते.' इतने में मैं बोल देता हूं 'निधि... निधि...' और भाईसाहब शुरू हो जाते हैं 'नि.. धी... पापा बुलाई.' 😃
अब मम्मा मुझे घूर रही हैं.😄

Wednesday, November 23, 2022

शौर्य गाथा : श्रवणकुमार

 


भाईसाहब लीलाधर हैं. उनकी लीलायें देखकर ऐसा लगता है कि बस देखते ही रहें. तीन चार दिन से सर्दी ज़ुकाम से पीड़ित थे, आज कुछ राहत में हैं. राहत मिलते ही लीलायें शुरू हो गई हैं. रात के पौने ग्यारह बज रहे हैं और भाईसाहब की आंखों में नींद नहीं है. उनको सुलाने के सारे जतन किए जा चुके हैं और सारे ही व्यर्थ गए हैं. थककर पापा बोलते हैं 'बेटा, अब हम थक गए हैं और आपको सुलाने के चक्कर में हमें Headache भी होने लगा है.'

भाईसाहब ने ये सुना और पापा के पास आए और पापा के गाल पर प्यार से हाथ फेर बोले ' प्याये.. प्याये.. पापा', फिर बड़े जतन कर भाईसाहब पलंग से नीचे उतर गए हैं. जबतक हम कुछ समझ पाएं उसके पहले ही ड्रेसिंग टेबल पर रीच में आई कोई सी शीशी उठा लिए हैं. बड़े जतन से फिर बेड पर चढ़े हैं.
जैसा हम उनकी मालिश करने के लिए तेल की शीशी को उल्टा कर हथेली में तेल लेते हैं वैसे ही उन्होंने बंद शीशी को किया और पापा के पास खड़े होकर पापा के सर की मालिश शुरू कर दी है. पापा मम्मा उनकी यह लीला देख हंस देते हैं और उन्हें रोकते हैं लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं. पापा को सरदर्द है और कुल उन्नीस महीने के हमारे श्रवणकुमार सेवा में लग गए हैं.
उनकी नन्हीं कोमल हथेलियों का स्पर्श बहुत प्यारा लग रहा है इसलिए पापा भी थोड़ी देर उन्हें ये करने देते हैं. थोड़ी देर वह मुस्कुरा कर करते रहते हैं और फिर कहते हैं ' फि..नि...च्छ' (Finish). नया शब्द है जो अभी अभी ही सीखा है.
लेकिन अब मम्मा को भी उनकी लीला का लालच आ गया है. उनकी इस हरकत पर किसी को भी आ सकता है. इसलिए मम्मा बोलती है बेटा मेरे पांव में भी दर्द है... और भाईसाहब उनके पांव की मालिश करना चालू कर देते हैं. मम्मा उन्हें पकड़कर जोर से गले लगा लेती है. 😃

#शौर्य_गाथा : भरत मिलाप


 भाईसाहब और भाई का दिवाली मिलन हुआ और ये भरत मिलाप से कम नहीं था. कारण ये था कि भाई को मम्मा पापा ने तीन हफ्ते पहले से ये सिखाया कि 'आपको भाईसाहब को मारना नहीं है, वो आपके भाई हैं और उनको प्यार किया जाता है.' भाईसाहब को उनके मम्मा पापा ने ये कह तैयार किया कि 'वो बड़े हैं और उन्हें छोटे भाई को प्यार करना है.' फिर क्या था, दोनों मिले और सब रिएक्शन का फोटो लेने के लिए तैयार खड़े हो गए.

इतना प्यार तो शायद भाईसाहब के पापा, चाचू, छोटू चाचू ने भी कभी नहीं दिखलाया होगा. 😃

शौर्य गाथा : दौड़

 


भाईसाहब ने जबसे चलना सीखा है बहुत तेजी से भागते हैं. इतना कि मम्मा-पापा तो क्या कॉलोनी का कोई भी व्यक्ति न पकड़ पाए. लेकिन जब थक जाते हैं तो बस 'प्यारे प्यारे पापा' कह, हाथ बढ़ा बढ़ा कर 'पापा मुझे गोदी ले लो' की ज़िद शुरू हो जाती है... और जैसे ही थकान मिटे तो फिर वही कहानी शुरू... मम्मा-पापा की विपरीत दिशा में दौड़ चालू. 😃😃

#शौर्य_गाथा

Tuesday, November 22, 2022

शौर्य_गाथा : चाचू



 भाईसाहब को पापा नहला रहे हैं. भाईसाहब ज्यादा खुश नहीं हैं. उन्हें पानी में 'फच्च... फच्च...' करना अच्छा लगता है और पापा हमेशा मना करते हैं. थोड़ी देर में चाचू आ जाते हैं और नहलाने का ऑफर देते हैं. चाचू को देख भाईसाहब बहुत खुश हैं. पापा तुरंत 'हां' कर देते हैं. अब चाचू भाईसाहब को नहला रहे हैं और भाईसाहब बड़े खुश हैं, इतना कि इनकी हंसी सुन सुनकर घर के बाकि लोग वाशरूम के बाहर खड़े हो गए हैं. भाईसाहब ने बहुत ज्यादा फच्च... फच्च... किया है, चाचू थोड़े भींग गए हैं लेकिन नहलाकर बड़े सुकून में हैं. भाईसाहब चाचू से भी ज्यादा खुश हैं, उन्हें उनके मन का करते हुए नहलाया गया है.

चाचू अनुसार सुरेंद्र झा 'सुमन' जी के शब्दों में कहें तो दृश्य कुछ इस तरह का रहा -
दाख मधुर, मधु मधुर पुनि मधुर सिता रस घोल
ताहू सँ बढ़ि - चढ़ि मधुर लटपट तोतर बोल।
अद्भुत शिशु-संसार ई जतय अबोधे बुद्ध
अक्षर अक्षर क्षरित जत अटपट भाषे शुद्ध।
लुलितकेश, तन नगन, मन मगन, धूसरित पूत
राग द्वेष लव लेश नहि शिशु अद्भुत अवधूत।

शौर्य गाथा : भाई


 

भाईसाहब जब अपने भाई से अगस्त में मिले थे तो भाई पर अत्यधिक प्यार बरसाया था. इतना कि मम्मा से बार बार बोल रहे थे कि भाई को भी गोदी ले लो. लेकिन भाई तो छोटे हैं, भले ही तीन महीने सही. तो भाई ने एक बार जोर से एक टॉय कार हाथ से घुमाई और भाईसाहब की नाक के ऊपर हल्का कट लग गया. लेकिन मजाल की भाईसाहब ने गुस्सा किया हो. वो उतना ही प्यार बरसाते रहे.

भाईसाहब में अभी से बड़प्पन आ गया है. उनसे बड़े पर भले ही गुस्से में वो हाथ उठा दें लेकिन छोटो को उनकी गलती पर भी माफ कर देते हैं. 😃
भाईसाहब अब फिर से दीपावली पर भाई से मिलेंगे. मम्मा पापा की प्लानिंग ये है कि फिर से भाईसाहब या भाई चोटिल न हो जाएं, इसलिए दोनों बच्चों का ख्याल रखा जाएगा. लेकिन दोनों के भ्रातृ-स्नेह का असली पता तो अब दीपावली पर ही चलेगा.
फ़ोटो:- दादू की गोद में भाईसाहब और भाई.

Monday, November 21, 2022

शौर्य गाथा : Care & Hugs



 भाईसाहब की गुड मॉर्निंग हो गई है. मम्मा ने ढेर सारे Kisses भी दे दिए हैं. अब भाईसाहब को बालकनी से चिड़िया देखनी है इसलिए बोलते है 'चिईया' (चिड़िया). पापा उन्हें बालकनी तक लेकर जाते हैं. भाईसाहब को दो-तीन तोते दिखते हैं, दो-तीन कबूतर दिखते हैं. 'ये... ये...' करके भाईसाहब उनके बारे में पूछते हैं. अब भाईसाहब बोर हो गए हैं इसलिए बोलते हैं 'तओ' (चलो). उनको दूसरी बालकनी में ले जाया जाता है, वहां भी वे चिड़िया देखते हैं. एक कबूतर खिड़की में बैठी हुई है, शायद अंडे सै रही है. भाईसाहब पूछते हैं ये... पापा ज्ञान बघारते हैं कि इसे रॉक पिजन बोलते हैं, जिसका साइंटिफ नेम Columba livia है. भाईसाहब ज्यादा नहीं समझते हैं सीधा फिर से पूछते हैं 'ये...'

अब पापा बताते हैं कि जैसे आपकी मम्मा केयर करती है वैसे ही वो भी अपने बच्चो को केयर कर रही है. सुनकर भाईसाहब किचन की तरफ दौड़ जाते हैं और मम्मा को Hug कर लेते हैं. 😃👪

Sunday, November 20, 2022

शौर्य गाथा : Possessiveness



भाईसाहब की मम्मा की दोस्त आई हैं. साथ में 9 महीने की बहुत प्यारी सावी भी है. सावी बहुत क्यूट है, मम्मा उसे तुरंत प्यार करती हैं, पापा उसे गोदी में उठा लेते हैं. ये सब भाईसाहब देख रहे हैं. भाईसाहब पजेसिव हो जाते हैं, तुरंत गुस्से का इजहार करते हैं. मम्मा-पापा मुस्कुरा देते हैं.

इनकी आया के पास ये पापा-मम्मा को मौजूदगी में कम ही जाते हैं लेकिन जैसे ही सावी को उन्होंने लिया और ये भी दूसरे कंधे पे टंग गए हैं. सबकी हंसी छूट जाती है.

भाईसाहब ने सावी के साथ खेलना शुरूर कर दिया है. फ्रेंडशिप कर ली है. कुछ देर में सावी अपने मम्मा-पापा साथ वापस जा रही है और ये दुःखी हो रहे हैं. इतने में पापा ने सावी को गोद में ले लिया है, अब भाईसाहब फ्रेंड के जाने से दुःखी होना छोड़ पापा की गोद के लिए मचलने लगे हैं, इतना कि पापा को सावी को छोड़ इन्हें गोद लेना पड़ा है, तबतक इन्होंने दो चार आंसू तक बहा दिए हैं.

भाईसाहब आजकल पापा-मम्मा को लेकर बड़े पजेसिव हैं. उसूल है दोस्ती पक्की पर पापा-मम्मा अपने-अपने. 😀☺️

#शौर्य_गाथा

Friday, November 18, 2022

शौर्य गाथा : बाइक


 

भाईसाहब का पर्सनल गैराज है. इसमें इतनी गाडियां हैं जितनी पापा मम्मा के पास मिला कर भी नहीं हैं. एक घोड़ा भी है जिसपर भाईसाहब कभी कभी हॉर्स राइडिंग पर निकलते हैं, एक हाथी भी है जो मॉल में जोर- जोर से 'हाती ददा...', 'हाती दादा...' चिल्ला-चिल्लाकर रोकर खरीदा गया है. यह दौड़ता नहीं है, लेकिन भाईसाहब इसे रेंगा जरूर लेते हैं. बाकि की गाडियां, ट्राइसिकिल, बाइसिकिल इत्यादि के अलावा अब डिमांड एक बाइक की है. चाचू ने 'बडूम... बुडूम...' की आवाज निकाल गाड़ी-गाड़ी कहना सिखा भी दिया है. भाईसाहब एक बार टेस्ट ड्राइव भी ले चुके हैं. अब बस एक बार और मॉल जाने की दरकार है और फिर वही रो-रोकर चिल्लाकर ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाएगी और इनके गैराज में बाइक का भी इज़ाफ़ा हो जाएगा.

#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : लिखना


 

पापा कुछ लिख रहे हैं इसलिए भाईसाहब पास आ गए हैं. अब उन्हें भी लिखना है. उन्हें कॉपी पेन दे दिया गया है, अब पापा लिखना छोड़ उन्हें देख रहे हैं. पापा ने उनका हाथ पकड़ा और अपना नाम लिख दिया और कहा कि 'अब आप लिखिए.' भाईसाहब ने अपनी भाषा में कुछ लिखा है, जो पापा का नाम तो बिलकुल नहीं है. जिसे पढ़ने शायद भगवान को धरती पे उतरना पड़ेगा.


खैर, अब उन्हें दूसरा पन्ना चाहिए. पहले वाले पे पूरा लिख चुके हैं, या यूं कहें कि लिखकर ऊब चुके हैं. खुद से कॉपी को पलटा जाता हैं. पापा मना करते हैं, भाईसाहब गुस्से का इज़हार करते हैं. पापा उन्हें समझाते हैं कि पेपर पेड़ से बनते हैं और पापा पेड़ बचाते हैं इसलिए पेज खराब मत कीजिए. लेकिन भाईसाहब गुस्से में 'मम्मा... मम्मा...' चिल्लाकर 'बैकअप फोर्स' मंगाने लगे हैं. थककर पापा ने पन्ना उलट के दूसरा पन्ना भी सुपुर्द-ए-भाईसाहब कर दिया है.

अब भाईसाहब दूसरा पन्ने पे भी अपनी भाषा में कुछ लिखकर बहुत खुश हैं. हंस रहे हैं.

पापा इसलिए खुश हैं कि बैकअप फोर्स आने के पहले ही उन्होंने स्थिति सम्हाल ली है और आज दीवारें भी उच्च स्तर की पेंटिंग का कैनवास बनने से बच गईं हैं.

#शौर्य_गाथा

Thursday, November 17, 2022

शौर्य गाथा : रात साढ़े ग्यारह बजे

 


भाईसाहब 8 बजे सो जाते हैं और फिर रात साढ़े ग्यारह बजे जागकर 'पापा... दूध', 'पापा... मम्मा... दूध' चिल्लाने लगते हैं. मम्मा ऑफिस से थककर आई हैं, इसलिए घोड़े बेच के सो रही हैं. बेचारे पापा जाग जाते हैं, किचन जाते हैं. भाईसाहब पीछे पीछे हो लिए हैं. किचन में जो भी बर्तन रीच में है उसे उठा घूम रहे हैं. दो बर्तन मिल गए हैं तो बस रात में इनका म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट तैयार है, तरह तरह की धुन बजाई जा रही हैं. पापा ने दूध गर्म कर लिया है, तब तक इनका बर्तनों को बजा बजा, नई धुन निकाल निकालकर घर का चौथा चक्कर भी लग गया है. अब आप उनके पीछे- पीछे दौड़ के दूध पिला रहे हैं, साथ में 'ठन... ठन...' का म्यूजिक भी बज ही रहा है. आप उन्हें पकड़ते हैं, बर्तन छीनते हैं और जबरदस्ती दूध पिलाना शुरू करते हैं. 2- 3 घूंट पीते पीते भाईसाहब रोना शुरू कर देते हैं, जैसे किसी ने इन्हें जोर से पीटा हो. बस इतने शोर में मम्मा जाग जाती है. "क्या यार विवेक मैं ऑफिस से थककर आई हूं, थोड़ा सा तो ख्याल रख लो. कहां चोट आई है बेटा?"


पापा मन ही मन सोचते हैं कि 'क्या वो थककर नहीं आए हैं?' खैर! भाईसाहब का रोना बंद हो गया है, मम्मा की आवाज सुनते ही. अब वो पापा को तरफ देख देख मुस्कुरा रहे हैं, जैसे उनने पापा को डांट पिलाकर के अपना गोल अचीव कर लिया हो.

#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : हाती दादा



 भाईसाहब ने 'हाथी दादा कहां चले...' rhyme को यूट्यूब से सुन सुन कर हाथी दादा कहना सीख लिया है. अब जब भी हाथी दादा की फोटो सामने आती, वीडियो आता है या खुद ही हाथी दादा सामने आ जाएं तो ये 'हाती दादा....', 'हती दादा...' चिल्लाने लगते हैं.

साहब हाथी दादा को देख उनके पास जाने की जिद कर रहे हैं... तकरीबन एक घंटे से. जब पास ले जाया गया तो डर कर मम्मा... मम्मा... कह मम्मी से चिपक गए.

उनका हाथी दादा के प्रति प्यार और हाथी दादा के पास जाने पर डर दोनों ही देखने लायक हैं.
#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : अलग एहसास


 

भाईसाहब की मम्मा और दादी बाहर गए हुए हैं. भाईसाहब को सुला दिया गया है. पापा के जिम्मेदारी उनका ध्यान रखने की है. पापा हॉल में जाकर अपनी फेवरेट 'आग का दरिया' उठा लेते हैं.

एक घंटे बाद भाईसाहब की आवाज आती है.वो जाग गए हैं. पापा उन्हें लेकर किचन जाते हैं, दूध गर्म करते हैं. भाईसाहब दूध पीने से इंकार कर देते हैं. 'मम... मम...' बोलकर पानी की ओर इशारा करते हैं. पापा पानी पिलाते हैं.

अब फिर से भाईसाहब को सुलाना बड़ा टास्क है. पापा उन्हें लिटाते हैं, समझाते हैं कि 'वो अब बड़े हो गए हैं, खुद से सो सकते हैं.'

भाईसाहब पापा से चिपक के लेट जाते हैं, फिर पेट पर चढ़कर सोते हैं, फिर उतर के चिपक के लेटे हैं. पापा थोड़ा भी इधर उधर हिलते हैं तो वो पापा को और कस के पकड़ कर चिपक जाते हैं. मम्मा के साथ ये रोज ऐसे ही सोते हैं लेकिन पापा के साथ पहली बार है. पापा को अंदर से बहुत खुशी महसूस हो रही है, अलग सा एहसास जो शब्दों में यहां बयां नहीं किया जा सकता.

पापा भी 'आग का दरिया' दरिये में डाल उनसे चिपक सो जाते हैं.

रात बारह बजे पापा की आधी सी आंखे खुलती हैं. सामने दादी और मम्मा खड़े बोल रहे हैं "घर के सारे दरवाजे खुले हुए हैं... किचन में दूध खुला पड़ा है... बिलकुल ध्यान नहीं रखते... ब्लाह... ब्लाह..."

पापा उनको देखते हैं, मुस्कुराते हैं, चिपक के सोये भाईसाहब को चूमते हैं और फिर पूरी आंखे बंद कर सो जाते हैं.

पापा नींद में भी उसी अद्भुत एहसास में हैं. 🙂

#शौर्य_गाथा

*आग का दरिया : कुर्रतुलऐन हैदर रचित प्रसिद्ध उपन्यास

Wednesday, November 16, 2022

शौर्य गाथा : 'प्याये पापा'

 



भाईसाहब अभी कोई 2-3 दिन पहले ही कुल जमा डेढ़ साल के हुए हैं. इनकी मम्मा ने इन्हें 'प्यारे प्यारे पापा' कहना सिखा दिया है. अब आप ऑफिस से आते हैं तो अपनी भाषा में 'प्याये पापा' कह कर चिपक जाते हैं. झूठ झूठ गुस्सा करो तो 'प्याये प्याये पापा' कहकर पापा का गाल खिला-खिलाकर मनाने लगते हैं.

शौर्य गाथा : 'His First Painting'


जब आप ऑफिस से घर आते हैं तो पता चलता है कि आपके बेटे में हिडन टैलेंट भी है, वे आगे चलकर बहुत बड़े पेंटर साबित होने वाले हैं. उन्होंने अपना हुनर दिखाते हुए अपना पहला स्केच भी बनाया है, जो किसी कलाप्रेमी की नज़र में मॉडर्न आर्ट का एक बेहतरीन नमूना हो सकता है.
जब आप उनसे पूछते हैं कि आपने दीवार को गंदा क्यों किया? तो उनके एक्सप्रेशंस होते हैं: 'What! Where?'