जीत!
हज़ारों मरे
लाखों घायल,
कई लापता
क्या किया हासिल?
जीत!!
अगर यह जीत है
तो हार क्या थी?
झुके-झके कन्धों से चलते
मानव की
असली हार यही है.
बस फ़र्क इतना है,
हम शर्मसार नहीं हैं.
प्यार करना बहुत ही सहज है, जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना. -पाश