Tuesday, June 4, 2013

Wish!



आ, फिर उस पहाड़ी पे चलते हैं,
घुप अँधेरे बिताते हैं निजी लम्हे
भुला के सारी रिवायतें
....और रश्मों का लम्बा इंतज़ार.

आधी ज़िन्दगी रिश्ते का इंतज़ार करना,
फिर आधी ज़िन्दगी
उस रिश्ते को लेकर पछताना!
इससे तो बेहतर है,
घुप अँधेरे में
हमारा-तुम्हारा बतियाना.
....भुला के सारी रिवायतें
भुला का रश्मों का ताना-बाना!