Tuesday, February 27, 2024

पापा के नोट्स 7


तुम्हारे साथ समय व्यतीत करना Treat सा है। तुम्हारे साथ पूरा एक हफ्ता बिना ऑफिस जाए मिलना मतलब मेरे लिए बहुत सारा सुकून और प्रेम मिलना है। तुम घर में सबको प्रेम से गले लगा रहे थे, सबसे बात कर रहे थे और अपनी तोतली प्यारी आवाज में मन मोह रहे थे।
जो लोग बोलते हैं दुनिया में प्रेम कम बचा है, उन्हें छोटे बच्चों को देखना चाहिए। हम बच्चों को समझदार और मेच्योर बनाने के चक्कर में दुनिया से प्रेम छीन रहे हैं। हम उन्हें एक ऊंचा आसमान देने के चक्कर में उनसे ज़मीन छीन रहे हैं। प्रतिस्पर्धा... एक दूसरे से आगे बढ़ने की है, जबकि एक दूसरे से अधिक प्रेम करने की होनी थी। हमें अधिक प्रेमल होना था... हम अधिक प्रतिस्पर्धी हो गए और अब धूमिल हो रहे हैं।
मैं चाहूंगा दुनिया के अंत में प्रेम बचे... बस प्रेम। जब भी किसी बच्चे को देखता हूं मुझमें ऐसा होने की उम्मीद बढ़ जाती है।

Thursday, February 22, 2024

शौर्य गाथा 109

 पापा 5 सेकंड रूल वाले हैं। मतलब कोई भी खाने की चीज जमीन पर गिर गई है तो तुरंत उठा-पौंछकर खा सकते हैं।

मम्मा अपोजिट है। एक बार जमीन पर गिरी चीज मतलब 'अखाद्य' हो गई। भाईसाहब मां पर गए हैं।
एक बार भाईसाहब बेड पर से मखाना खा रहे हैं। एक मखाना इनके हाथ से बेड पर गिर जाता है। चूंकि नीचे गिर गया है इसलिए ये खा नहीं सकते और आसपास कुछ ऐसा है नहीं कि वहां अलग करके रख दिया जाए, इसलिए उठाते हैं और पापा के देकर कहते हैं "पापा खा लो, नीचे गिर गया था।" फिर मम्मा की ओर देखते हैं और कहते हैं "मम्मा नीचे गिर गया था तो मैंने पापा को दे दिया।"
पापा मम्मा एक दूसरे की ओर देख रहे हैं। मम्मा कहती है "बेटा ऐसा नहीं करते किसी को..." और भाईसाहब बीच में बात काट कर कहते हैं "मैंने जानबूझ कर दिया... जानबूझकर..." और अपनी प्यारी सी हंसी में हंसने लगते हैं।
पापा ने वैसे तो मम्मा की कभी बात नहीं सुनी लेकिन उस दिन से 5-सेकंड-रूल से तौबा कर लिया है।

Thursday, February 15, 2024

शौर्य गाथा 108.

 दो महीने बाद भाईसाहब तीन साल के हो जाएंगे... और मुझे अभी से वह दिन याद आ रहा है 23 मार्च 2021. कितना इमोशनल दिन था मेरे लिए... हाथ में लेते हुए इस नन्हीं-सी जान को टप-टप आंसू गिरे थे. इन लगभग तीन वर्षों में कितनी बदल गई है जिंदगी. बहुत से एहसास हैं जो नए-नए मेरे अंदर जन्मे हैं... बहुत सी बातें हैं जो मैंने इस बच्चे से सीखी है... बहुत सा प्रेम है जो महसूस किया है... और भाईसाहब? लगभग तीन साल के भाईसाहब कुछ ज्यादा जिद्दी हो गए हैं... चूजी हो गए हैं... और बहुत सारा प्यार करने लगे हैं. मसलन ऑफिस से आते हैं पुच्ची पर पुच्ची देते हैं फिर जोर से पापा को भींच लेते हैं.

पूरे घर को कैनवास बना के रखा है. बड़ी-बड़ी ड्राइंग करते हैं. कभी-कभी तो बात भी नहीं मानते हैं. बातें अधिक क्यूट हो गई हैं और आवाज तोतली है पर निखलने लगी है.
पापा और भाईसाहब अच्छे दोस्त हो गए हैं. पापा कभी जिद मानते हैं... कभी नहीं भी. भाईसाहब गुस्सा करते हैं... कभी नहीं भी. भाईसाहब और पापा क्रिकेट खेलते हैं. कभी वह बॉलिंग करते हैं... कभी पापा बॉलिंग करते हैं. वैसे भाईसाहब अधिकतर 'तोहली अंकल' ही बनते हैं.
पापा और भाईसाहब बॉक्सिंग करते हैं. भाईसाहब के प्रहारों से बेचारे पापा गिरते रहते हैं.
पापा स्कूल छोड़ने जाते हैं भाई साहब लौट कर बोलते हैं "पापा त्यों अकेला छोड़ दिया था?"
पापा: "जिससे आप वहां फ्रेंड्स के साथ खेल पाओ."
...और भाईसाहब दौड़कर पास आकर गले लगते हुए बोलते हैं "मुझे तो आपते साथ थेलना है."
पापा इतना सारा प्यार पाकर उन्हें जोर से गले लगा लेते हैं.
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तीन साल... कल की ही बात लगते हैं... सबसे सुखद साल हैं... जिनका मुझे हर पल याद है.
दो महीने बाद भाईसाहब तीन साल के हो जाएंगे... और मुझे अभी से वह दिन याद आ रहा है 23 मार्च 2021. कितना इमोशनल दिन था मेरे लिए... हाथ में लेते हुए इस नन्हीं-सी जान को टप-टप आंसू गिरे थे. इन लगभग तीन वर्षों में कितनी बदल गई है जिंदगी. बहुत से एहसास हैं जो नए-नए मेरे अंदर जन्मे हैं... बहुत सी बातें हैं जो मैंने इस बच्चे से सीखी है... बहुत सा प्रेम है जो महसूस किया है... और भाईसाहब? लगभग तीन साल के भाईसाहब कुछ ज्यादा जिद्दी हो गए हैं... चूजी हो गए हैं... और बहुत सारा प्यार करने लगे हैं. मसलन ऑफिस से आते हैं पुच्ची पर पुच्ची देते हैं फिर जोर से पापा को भींच लेते हैं.
पूरे घर को कैनवास बना के रखा है. बड़ी-बड़ी ड्राइंग करते हैं. कभी-कभी तो बात भी नहीं मानते हैं. बातें अधिक क्यूट हो गई हैं और आवाज तोतली है पर निखलने लगी है.
पापा और भाईसाहब अच्छे दोस्त हो गए हैं. पापा कभी जिद मानते हैं... कभी नहीं भी. भाईसाहब गुस्सा करते हैं... कभी नहीं भी. भाईसाहब और पापा क्रिकेट खेलते हैं. कभी वह बॉलिंग करते हैं... कभी पापा बॉलिंग करते हैं. वैसे भाईसाहब अधिकतर 'तोहली अंकल' ही बनते हैं.
पापा और भाईसाहब बॉक्सिंग करते हैं. भाईसाहब के प्रहारों से बेचारे पापा गिरते रहते हैं.
पापा स्कूल छोड़ने जाते हैं भाई साहब लौट कर बोलते हैं "पापा त्यों अकेला छोड़ दिया था?"
पापा: "जिससे आप वहां फ्रेंड्स के साथ खेल पाओ."
...और भाईसाहब दौड़कर पास आकर गले लगते हुए बोलते हैं "मुझे तो आपते साथ थेलना है."
पापा इतना सारा प्यार पाकर उन्हें जोर से गले लगा लेते हैं.
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तीन साल... कल की ही बात लगते हैं... सबसे सुखद साल हैं... जिनका मुझे हर पल याद है.

Saturday, February 3, 2024

शौर्य गाथा 107.

 रात के 11 बजने को हैं और भाईसाहब जोर जोर से "दादू... दादू... दादू..." चिल्ला रहे हैं। रात में दादू की इतनी तेज याद आ रही है! पापा पूछते हैं "दादू को वीडियो कॉल करूं?"

भाईसाहब (अपनी तोतली आवाज में): "नहीं, मैं तो गाना गा रहा हूं।"
पापा मम्मा को हंसी आ जाती है! रात 11 बजे भाईसाहब जोर जोर से जादू... जादू... (कोई मिल गया) गाना गा रहे हैं। एलेक्सा देवी ने इन्हें सब सिखा दिया है!
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