Tuesday, October 16, 2012

ये नज़्म समर्पित है 'बीबीसी ब्लॉगर' मलाला यौसुफ्जई के लिए, जिसे पिछले हफ्ते तालिबान ने गोली मार दी. 'गर्ल् एजुकेशन' पर काम करने बाली इस 14 वर्षीय लड़की से खुदा शायद डर गया था. मलाला के साहस को सलाम!
ये नज़्म, शायद Comparison भी है, एक ख्याल जिसे हम खुदा कहते हैं और एक सच जिसे हम डॉक्टर कहते हैं, दोनों के बीच.
शायद लिखने का तरीका आम नज़्म से ज़रा हटके है, लेकिन मुकम्मल कोशिशें बहुत की हैं, कि आपको पसंद आये.


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खुदा से ***


देखो, दो अल्फ़ ही तो
पढ़ना चाहे थे उसने.
शायद पढ़ के
तेरी ही इबादत करती
या खैरियत तेरे बन्दों की.
सुधरती भी, तेरी ही बनायी
केसरी कायनात.

हैवान बन
तान दी बंदूकें!
तू कभी नहीं सुधरेगा.

अच्छा है,
कुछ बन्दे तुझसे दगा कर,
जमीं पे परीज़ंदा बन गये हैं.
भई, हम तो उन्हें 'डॉक्टर' कहते हैं,
तू शैतान कह ले!
घंटों की मशक्कत से,
तुझसे छीन लाये ज़िन्दगी.

ये खुदा,
मलाल तो होगा तुझे
कि 'मलाला' बच गयी है.


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अल्फ़- First Alphabet of Urdu
केसरी कायनात-Beautiful World
परीज़ंदा- Like Angels

Read about Malala Yousuzai on NYT (http://www.nytimes.com/2012/10/16/world/asia/malala-yousafzai-taliban-shooting-victim.html

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Vivek  VK Jain    

Saturday, October 6, 2012

सरहदें (टोबा टेक सिंह पर )



















देखो ये सरहदें,
अरे! हवाएं गुजर गयीं इनसे.
.....और ये पंछी,
इन्हें भी नहीं रोक पायीं ये.
लेकिन हमारा 'प्लेन' कभी
लाहौर नहीं उतर पाया.

बोतल में बंद कर कभी
पैगाम-ए-मोहब्बत फेंका था समंदर में,
सुना है रहीम मियां को
मिला है करांची में.
लेकिन मेरी नावें
कभी लंगर न डाल पायीं वहां!

कुछ पानी के कतरे
करांची से चलकर
मेरी सरजमीं पर नमक बन गये हैं!
हमारी नर्मदा भी
अरब में गिरती है.
करांची ने भी उसका पानी कभी
चखा ही होगा.

ना तुमने कभी चाहीं,
ना हमने कभी चाहीं,
फिर सरहदें क्यूँ बना दी?

अरे! ये बाघा बोर्डर तो हटाओ
वहां मेरा 'टोबा' मरा पड़ा है.
लगता है,
पागलों में वाइज़ से ज्यादा अक्ल है!
सब पागल ही हो जाएँ,
तो शायद सरहदें ना रहें.

                                   ~V!Vs

टोबा= टोबा टेक सिंह, सआदत हसन मिन्टो की बंटवारे पर लिखी बड़ी प्रसिद्द कहानी है, जिसका किरदार टोबाटेक सिंह (बिशन सिंह) पागल रहता है, और बाघा बोर्डर पर मर जाता है (उधर ख़ारदार तारों के पीछे हिंदुस्तानथा, इधर वैसे ही तारों के पीछे पाकिस्तान ; दरमियान में ज़मीन के उस टुकड़े पर जिसका कोई नाम नहीं था, टोबाटेक सिंह पड़ा था.)
(read story here-
http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/story/2005/05/050510_manto_tobateksingh.shtml (hindi)

http://www.sacw.net/partition/tobateksingh.html (english))

वाईज- उपदेशक
अरब- Arabian Sea