Wednesday, August 16, 2023

शौर्य गाथा 68.

 हम घर का सामान लेने जा रहे हैं। भाईसाहब ने तुरंत ही कैप पहन लिया है "पापा देखो मैं तो पुलिस अंकल बन गया हूं!" कैप पहनना और अपने को पुलिस अंकल कहना आजकल इनका फेवरेट काम है लेकिन कैप पहनने के बाद उसे इतना नीचे कर लेते हैं कि आगे वाला हिस्सा (Visor) इनकी आंखों के सामने होता है। इन्हें सही से दिखता नहीं है, इसलिए फिर सिर उठाकर चलते हैं।

भाईसाहब कैप पहने ही स्टोर पहुंचते हैं। घुसते ही इन्होंने दौड़ के एक बास्केट ले ली है। इनके वजन के बराबर ही होगी। भाईसाहब अब आराम से बास्केट खींचते हुए एक ओर जा रहे हैं।
"अरे आप कहां जा रहे हैं?" मम्मा पूछती है।
"अले मम्मा, डायपल थथम (खत्म) हो दए हैं न। वो लेने जा ला।" भाईसाहब मम्मा की स्टाइल में ही तुरत जवाब देते हैं।
हम लोगों की हंसी छूट जाती है लेकिन इन्हें न दिखे और इनका मज़ा न किरकिरा हो जाए, इसलिए चुपचाप हंसी मुंह में ही दबाए इनके पीछे हो लेते हैं।