Saturday, June 24, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day1


"I'm leaving my heart here" निधि जाते जाते कहती हैं। उनकी ट्रेनिंग है, एक हफ्ते की। वो शहर से बाहर जा रही हैं। शौर्य को अकेले छोड़ के जाना उनके लिए आसान नहीं है। वो बचते बचाते, आंसू लिए चुपचाप निकली हैं।

वर्किंग वुमन होना आसान नहीं है, कितने सारे Sacrifices करने होते हैं, उन्हें भी और उनके बच्चों को भी।

पापा आज भाईसाहब को सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। भाईसाहब कहानियां सुनकर सोते हैं, मम्मा सुनाने में एक्सपर्ट है। आज पापा बेचारे ट्राइ कर रहे हैं।

पापा: "एक डायनासोर था, बहुत बड़ा था, इतना कि Trees पर बैठे Monkeys से सीधे बात कर लेता था। उसके एक दादाजी थे..."

भाईसाहब: "दादाजी का नाम तया था?"

पापा: "दादाजी का नाम ग्रैंड डायनो था। वे बहुत घूमते थे। एक बार उन्होंने घूमते घूमते एक Cow को देखा..."

भाईसाहब: "पापा, Cow की इश्तोरी सुनाओ।"

पापा: "एक Cow थी, उसका एक Calf था। शौर्य Cow का मिल्क पीता है।"

भाईसाहब: " ताफ (calf) की इश्तोरी सुनाओ... ताफ की।"

पापा (थककर): "बेटा ताफ सो गया है आप भी सो जाओ।"

भाईसाहब: "पापा मुझे मेरी मम्मा के पास जाना है... वहां तलो..." और मम्मा मम्मा कहकर रोना शुरू कर देते हैं।

पापा: "बेटा मम्मा ऑफिस गई है, जैसे पापा ऑफिस से नहीं आते, आज मम्मा भी नहीं आ पाई है। आप सो जाओ...."

दो साल की नन्हीं सी जान कुछ कुछ समझ गई है। अंततः नानी उनको गोद में चिपकाती हैं, नाना उनके पैरों की मालिश करते हैं, पापा सर पर हाथ फेरते हैं... और फिर भाईसाहब सोते हैं।"


पापा, सोच रहे हैं कि सिंगल पेरेंटिंग कितनी टफ होती होगी। हर दिन अकेले ही बच्चे का मां बाप बनना आसान नहीं रहता होगा।


अच्छा है कि भाईसाहब के नाना नानी और भाई बहन (ममेरे) आ गए हैं, नहीं तो पापा को कितना मुश्किल होता!


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