Saturday, January 8, 2011

बकबक

     'मैं गाँव से हूँ, मुझे नहीं पता क्या सच है क्या नहीं. लेकिन विकास पंहुचा हो या नहीं , साम्प्रदायिकता ज़रूर वहां पहुच गई है.' मैं चिल्ला कर कहता हूँ.
       'चिल्ला क्यूँ रहे हो?'
       'तो तुम अपनी बक-बक कब बंद करोगी? caste, caste, caste, भाड़ में गई ये caste, ये religion, ये बकबास.'
       'तो मैं क्या करूं? मैंने बनायी थी क्या?' .....बस मैं अपने पापा के oppose मैं नहीं जाउंगी.'
       'हां मुझे पता है, और मैं भी यही समझा रहा था. हम आगे तक नहीं जायेंगे लेकिन उसके लिए caste reason नहीं होगी, permission होगी. तुम्हें पता है? तुम्हें अपने माँ-बाप से ज्यादा कोई प्यार नहीं कर सकता, कभी नहीं.' मैं शालीनता से कहता हूँ.
       'ये 'माँ-बाप' वाला dilogue कहाँ से मारा?' वो उसी अदा से कहती है.
       'मेरे TPO ने बोला था एक दिन.' वो सुन कर मुस्कुरा दी. 'लेकिन एक बात बताओ, मुझे हमेशा येसी ही लडकियां क्यों मिलती हैं?' मैंने धीरे देकर कहा.
      'तुम्हारी choice ही गन्दी है.''
      'क्यूँ मैंने तुम्हें choose नहीं किया था.'
      'हाँ मैंने किया था, अब खुश! तुम कितने proudy हो. उसको तो तुमने किया था. हाँ, पता, वो तुमसे ज्यादा proudy है......तभी ना तुम्हें पानी पिला गई. हाहाहा.....' खिलखिला दी. उसका हंसना हमेशा अच्छा लगता है.
     'वो मेरी गलती थी.'
     'हाँ मुझे पता है, मेरी गलतियों पर भी तुम्ही सॉरी बोलते हो. हमेशा तुम ही गलत होते हो. देश के किसान मरे तो दुःख तुम्हें होता है, घोटाले हों तो भी तुम्हें दुःख होता है. जैसे सारे काम तुमने ही किये हों? मुझे पता है, तुम गलत नहीं हो. इश्क कोई खता नहीं, और उसे जताना भी.' वो कुछ serious हो कर बोली.
अब मेरी बारी थी, 'ये लास्ट बाला dilogue तुमने कहाँ से मारा?'
    'वो पढ़ा था कहीं, सिर्फ तुम्ही नहीं पढते-लिखते, कुछ-कुछ मैं भी करती हूँ.'
    'हाँ एक और बात, तुम अच्छे हो, thats why i love you, और मेरी choice कभी गलत नहीं होती.....'हम्म्म्म....'now i am leaving, भैया आ गये होंगे घर पर. तुम्हें छोड़ दूं? गाड़ी कब चलाना सीखोगे. तुम्हें तो बस Aptitude ही आता है, बस और कुछ नहीं.... बैठो....'

'..........काश तुम गलत होती....मैं तो बस उसे सही होते देखना चाहता हूँ. काश तुम मुझे ही गलत ठहराती..........'

*Story and Feelings are Real but not mine.