Sunday, January 22, 2023

शौर्य गाथा : #पेंटरबाबू


भाईसाहब पापा के साथ खेल रहे हैं फिर घर में घूम घूम पापा को खुशी खुशी बता रहे हैं "पापा ये बनाया..." पापा बेचारे रंगी दीवारों को देख रहे हैं. "और ये क्या बनाया शौर्य?" "पापा लाउंड एंड लाउंड (Round and Round)." भाईसाहब ने राउंड एंड राउंड एक Rhyme (Wheels on the...) से सीखा है. "अरे आपने तो बहुत सुंदर बनाया है. और कहां बनाया?" पापा एप्रिशिएट करते हैं. भाईसाहब अब पूरे घर की दीवारें दिखला रहे हैं "पापा यहां पापा यहां पापा ये... लाउंड एंड लाउन्ड बनाया पापा." "अच्छा!" पापा उन्हें गोद में लेकर लाड़ करते हैं. उनको सर्दी है लेकिन वे बहुत खुश होते हैं.

पापा बेचारे का काम बढ़ गया है. दीवारें पेंट करनी हैं, लेकिन पापा भी बहुत खुश हैं कि भाईसाहब स्केचिंग करके भी खुश होते हैं और उसे बता बताकर भी. :) :)

#शौर्य_गाथा



Wednesday, January 18, 2023

शौर्य गाथा : Love

 


भाईसाहब इतना बोलने लगे हैं कि आप सुन सुनकर हंस हंस कर लोटपोट हो सकते हैं. इन्हें मीठा पसंद है और ज्यादा मीठा खाने की आदत देख घर में किसी ने इन्हें मीठा को मिर्ची बता दिया है. सोचा होगा, शायद वे मिर्ची का नाम सुन कम खायेंगे. लेकिन भाईसाहब तो भाईसाहब हैं, मिर्ची का टेस्ट भूल गए हैं और अब मीठा देखते ही बोलते हैं "मम्मा, मिच्ची खाना मिच्ची."😄

#शौर्य_गाथा

Monday, January 16, 2023

शौर्य गाथा: Papa's Notes 2


 तुम पापा के घर में न होने पर पूछते ही रहते हो "पापा का गए? पापा का गए?" और पापा के आने पर दरवाजे पे ही खड़े मिलते हो और खुश हो जोर से चिल्लाते हो "पप्पा..." पापा तुरंत ही पकड़ कंधे पर ले लें तो जोर से Hug करते हो और फिर छोटे छोटे हाथों से गाल खिलाते किलकारते बोलते हो "पप्पा... पप्पा..." जैसे तुम्हारे पास सबकुछ हो. इतनी निश्चलता, इतना प्रेम, इतनी खुशी. पापा को तो जैसे दुनिया जहान को खुशियां मिल जाती हैं.

मम्मा कभी कभी कहती है कि "शौर्य न होता तो हम इतनी खुशी महसूस ही नहीं कर पाते." पापा मुस्कुराकर हां बोलते हैं. हम मम्मा-पापा समझने लगे हैं कि ज़िन्दगी में बच्चों का होना क्यों जरूरी है.

#शौर्य_गाथा #पापाकेनोट्स

Thursday, January 5, 2023

शौर्य गाथा : Pen

 


भाईसाहब के हाथ में एक पेन है जिसका ढक्कन (Cap) खोलने के लिए भाईसाहब पापा से कहते हैं 'पापा ये... पापा ये...' कह के उसके ढक्कन को खींच खींच इशारा कर रहे हैं. पापा जानते हैं कि एक बार ढक्कन खुल गया तो सोफा और दीवारों पर 'वर्ल्ड क्लास पेंटिंग' बन जाएंगी, इसलिए झूठ मूठ की पूरी मेहनत लगाते हैं और कहते हैं कि 'खुल नहीं रहा है. ' भाईसाहब मम्मा के पास जाते हैं मम्मा से कहते हैं मम्मा 'पापा थे थुल नहीं लहा... थुल नहीं लहा.' ये थोड़े बड़े वाक्य बोलना भाईसाहब ने अभी अभी सीखा है. मम्मा भी वही झूठमूठ का अभिनय करती हैं. भाईसाहब अब हाथ में पेन लिए मेहनत कर कर रहे हैं ... और थोड़ी देर में ढक्कन खोल लेते हैं. पापा के पास आते हैं खुश होकर बोलते हैं 'हा...हाहा... पापा थोल लिया... तोल लिया.' पापा मोबाइल से चेहरा हटा शाबाश बोल पाएं इसके पहले सोफे पर एक 'कंटेंपरेरी आर्ट' उभर आई है.

मम्मा पापा बेचारे सपाट चेहरा लिए एक दूसरे की शक्ल देख रहे हैं.

#शौर्य_गाथा