Thursday, October 14, 2010

मौत

सुबह बार-बार आती है!!!
तारे टूटे और बिखर गये,
बर्फ पिघली और मिट गई.
शबनम सोख ली किरणों ने,
बूंदे गिरी और बह गई.


खुश हैं,
बिखराव है,
किन्तु अंतिम सत्य के रूप में.
यहाँ तो मौत भी
सुबह की तरह बार-बार आती है.
                        ~V!Vs***

तो जानते मैं क्या सोचता हूँ

मेरी आँखों से कुछ रंग जो चुराते,
तो जानते मैं क्या सोचता हूँ.


किनारे से आगे कभी सोचा ही नहीं,
लहरों संग बह,
आसमां छूने का एहसास जगाते,
तो जानते मैं क्या सोचता हूँ.


क्या पता क्यूँ,
दरख्तों से झाँका
और लौट गये तुम.
जरा दो पल बिताते
तो जानते मैं क्या सोचता हूँ.


किसी ने कुछ कहा,
तुमने बिन जाने ही सच मान लिया.
ये आवरण हटाते,
तो जानते मैं क्या सोचता हूँ.


कह दिया दोस्त,
मुश्किलों में मैं हूँ तुम्हारा.
जरा दोस्ती निभाते,
तो जानते मैं क्या सोचता हूँ.


                  ~V!Vs***