वो प्यार पुराना...
सुर्ख हो जाते थे गाल,
जो निकले पास से भी तो.
बढ जाती थी धड़कन
उनके मुस्कुराने से,
और सरोबार हो जाता था तन
उनके प्यार क एहसास से ही,
लेकिन नही रहा वो ज़माना,
न रहा अब वो प्यार पुराना.
बस मिलो पल दो पल
कह दो 'आई लव यू'
और बस दो वादे कर भूल जाओ
ये प्यार नही है..
प्यार बस एहसास का नाम है,
मिलती हुई साँस का नाम है,
ढलती शाम, उगते सूरज का
उत्तर की हवा और पूर्व का
एहसास बदल जाए,
आप बेवजह खुश हो जाए,
और न सिमटे बस एक दिन में ही,
तो फिर समझो आपको भी हो गया है,
प्यार.....वाही पुराने ज़माने बाला.
कैसा था वो ज़माना
जब प्यार बस न था रिझाना,
एहसासों में जीना,
सपनो को सीना.......
फिर बदलो ठिकाना
बनाओ वाही ज़माना.