Friday, June 30, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day7

 


भाईसाहब को सुबह से पता है कि वे मम्मा को लेने जायेंगे इसलिए सबेरे से ही बोलते हैं "मम्मा से बात करा दो न, मम्मा के पास चलो न..." पापा उन्हें समझाते हैं कि मम्मा अभी ऑफिस में है, थोड़ी देर में बात करेगी.

शाम में पापा भाईसाहब को लेकर निकले हैं, घर से निकलते ही यशी ने रोना शुरू कर दिया है कि शौर्य क्यों चला गया है. उसके दादू समझा रहे हैं. Actually, उन्हें भी वापस निकलना है.

भाईसाहब निकलते ही बोलते हैं "पापा, शशि दीदी तहाँ है?" पापा उनका ध्यान भटकाने उन्हें डंप ट्रक दिखाते हैं, रोड रोलर भी दिख जाता है. "पापा, वो देखो ट्रेक्टर" अब भाईसाहब को भी मजा आने लगा है.

भाईसाहब रोड से उतरे ट्रक को देखकर: "पापा डंप ट्रक टूट गया है, एम्बुलेंस को बुला दो न!"

पापा, फ़ोन हाथ में लेकर: "हेलो! एम्बुलेंस मैं शौर्य का पापा बोल रहा हूँ, एक ट्रक टूट गया है जल्दी आना."

भाईसाहब: "पापा ब्लू एम्बुलेंस को भी बुला दो."पापा फ़ोन पर: "हेलो! ब्लू एम्बुलेंस आप भी आना." 

पापा भाईसाहब से : "बेटा, फायर इंजन को भी बुला दूँ?"

भाईसाहब: "नहीं पापा वो तो टूट गई थी न. वो नहीं आयेदि."

पापा: "अच्छा!"

भाईसाहब एम्बुलेंस देखकर: "पापा वो देखो रेड एम्बुलेंस जा रही है... ऊँ... ऊँ... अब ट्रक ठीक हो जायेगा."

पापा को इनकी प्यारी सी बोली में ढेर सारी बातें सुन बहुत ही प्यार आता है. पापा दो-चार पुच्ची कर लेते हैं.

भाईसाहब मम्मा कि ट्रेनिंग अकादमी पहुँच गए हैं. मम्मा को देखते ही तुरंत ही "मेरी मम्मा..." कह लिपट जाते हैं, ऐसे जैसे शाम को घर लौटी गाय से बछड़ा चिपकता है. जैसे पूरे हफ्ते भर का प्रेम समेट लेना चाहते हों. पूरे डेढ़ घंटे ऐसे ही चिपके रहते हैं. 

मम्मा बोलती है "बेटा, ड्रेस चेंज कर लूँ?" 

भाईसाहब गोदी में चढ़े, गले लगे लगे ही बोलते हैं, "नहीं... मम्मा नहीं..." और ये ममतामय मिलाप पूरे डेढ़ घंटे चलता है.

ऐसे चिपके हैं जैसे मम्मा और उनके बीच कोई नहीं आ सकता हो. पापा सामने खड़े हैं लेकिन पापा को जैसे भूल से गए हैं, भाईसाहब भी, मम्मा भी. पापा भी तो एक हफ्ते दूर थे, एक हग (Hug) तो उनका भी बनता है ना! लेकिन भाईसाहब कहते हैं "पापा... नहीं... नहीं... मम्मा... मेरी मम्मा है... मेरी मम्मा." पापा हंसी छूट जाती है.

मम्मा की दोस्त कहती हैं " सर, मैम दुखी हो रही थीं कि शौर्य ने उनके बिना रह कैसे लिया!"

इसके लिए पापा मन ही मन नाना नानी को शुक्रिया कहते हैं. पापा को इस बात पे आश्चर्य है कि मम्मा ने कैसे रह लिया!  

उधर मम्मा कि आँखें भर आई हैं. वहां और भी मायें अपने बच्चों को छोड़कर आई थीं और किसी के लिए भी ये आसान नहीं था.

भाईसाहब अब शॉपिंग करने निकले हैं, अपना फेवरेट एक्सकैवेटर खरीदते हैं और कहीं मम्मा थोड़ी सी भी अलग हुई कि बोलने लगते हैं "मम्मा... नहीं.. नहीं... जाना नहीं..."

पूरे टाइम मम्मा से चिपके हुए घर लौटे हैं और मम्मा से ही चिपक कर सो गए हैं.

#शौर्य_गाथा  #Shaurya_Gatha


Thursday, June 29, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day6



पिछले पांच दिनों से हम भाईसाहब की मम्मा से कम से कम बात करा रहे थे, क्यूंकि बात करते ही ये रोना शुरू कर देते थे. लेकिन अगले दिन ही भाईसाहब मम्मा से मिल लेंगे इसलिए आज वीडियोकॉल  पर इनकी बात मम्मा से करवाई जाती है.

मम्मा पूछती है: "बेटा याद आती है?" भाईसाहब सर मटकाकर 'हाँ' में जवाब दे देते हैं.

"बेटा मैं नहीं हूँ... मैं कल आ जाउंगी." मम्मा कहती है.

भाईसाहब: "आप नहीं हो इसलिए शशि दीदी आ दई है, ईसान भैया आ दया है."

नन्ही सी जान और इतनी समझ!! मम्मा नहीं हैं, इसलिए भैया दीदी आ गए हैं, इन्हें ये पता है!  पापा का इन्हें बहुत जोर से प्यार करने का मन होता है. पापा इन्हें उठाकर कर जोर से भींच लेते हैं. मम्मा अपनी कोरों के आंसू पोंछते हुए फ़ोन से "बाय... बाय" बोल रही है. पापा की आँखें भी भींग गई हैं.

परिस्तिथियाँ सबको अधिक समझदार बना देती हैं.... यहाँ तक की दो साल की नन्ही सी जान को भी!

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Wednesday, June 28, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day5


 भाईसाहब बहुत सारा बोलते हैं, बहुत मीठा बोलते हैं. तोतली सी आवाज़  साफ़ होने लगी है, और भी प्यारी हो गई है. बहुत सी ख्वाहिशें हैं, बहुत सी डिमांड्स हैं. बहुत से लफ्ज़ गले में ही अटक जाते हैं, बहुत सी शिकायतें ज़ुबां पर आ जाती हैं तो सबकी हंसी छूट जाती है. मसलन पापा की शिकायत मम्मा से 'मम्मा पापा को डांट दो न.' मम्मा की शिकायत पापा से 'मम्मा टीवी नहीं चला रही, पापा मम्मा को डांट दो न.' करते रहे हैं.

हद तो अब हुई जब मम्मा पास नहीं हैं और ये पापा पर गुस्सा हो गए हैं. पापा की गोदी में चढ़कर पापा से कहते हैं- 'पापा, पापा को डांट दो न.' ...और पापा खुद को डांटने लगते हैं.- 'पापा, ऐसा नहीं करते.' 

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शाम में किसी बात पर यशी को उसके दादू (भाईसाहब के नानाजी) ने डांट दिया है. वो अनमनी होकर एक जगह बैठ गई है. 

भाईसाहब देखते हैं, दौड़ के नानाजी के पास जाते हैं, हाथ मटकाकर कहते हैं- 'नाना ऐसा नहीं करते... नहीं करते.' और लौटकर दौड़ते हुए यशी के पास आते हैं, कहते हैं- 'शशि दीदी, मैंने नाना को डांट दिया... मत रो.'

सबको इनकी प्यारी सी हरकत देख हंसी छूट जाती है.

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Monday, June 26, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day4


कहते हैं नानियां नाती-नातिन में बेटी का बचपन खोजती हैं। शौर्य की नानी को शौर्य से अगाध प्रेम है। वो जब भी रहती हैं, दिन भर कुछ न कुछ खिलाती रहती हैं, नया-नया बनाती रहती हैं। शौर्य थोड़े से बीमार पड़े नहीं कि अगली गाड़ी से सीधे चली आती हैं। उनका प्रेम अदभुत है।

उम्र के साथ धार्मिक सभी हो जाते हैं, किंतु धर्म का मर्म समझ उसे अपने व्यवहार, विचार और आचरण में बहुत कम समाहित कर पाते हैं। नानी उन बहुत कम लोगों में से एक हैं।

पापा के ऑफिस जाने के बाद भाईसाहब दिनभर नानी और भाई- बहन (ममेरे) के साथ खेलते रहते हैं। यशी चार वर्ष की है और अपनी उम्र के जितनी चुलबुली किंतु उम्र से अधिक समझदार। भाईसाहब कभी धोखे से भी मार दें तो भी वो प्यार करना नहीं छोड़ती।

ईशान आठ वर्ष के हैं, धीमे धीमे बड़े हो रहे हैं। उनकी गलती पर हम डांट भी देते हैं किंतु शौर्य के प्रति उन्हें अत्यधिक प्रेम हैं।

इनके साथ खेलते हुए भाईसाहब मम्मा को भूले रहते हैं। आज दिनभर से सब डांस कर रहे हैं, नाना नानी वीडियो बना रहे हैं। पापा के लौटते ही नानी वीडियो दिखाती हैं।

आज चौथा दिन है, आज दिनभर में भाईसाहब ने मम्मा को कल से कम याद किया है, शायद Situation में ढल रहे हैं... मम्मा भी धीमे धीमे एडजस्ट कर रही है।

नाना ने भाईसाहब की मालिश कर दी है, दिनभर हाइपर एक्टिव रहे भाईसाहब भी थके हैं... वे कहानी सुनते सुनते बीच बीच में मम्मा को याद करते हुए पापा के पास सो जाते हैं।

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शौर्य गाथा: 7 Days Without Mamma #Day3



पापा ऑफिस के लिए निकल रहे हैं... भाईसाहब आते हैं, Shoelaces बांधना शुरू कर देते हैं।^ पापा उन्हें ढेर सारी पुच्ची करते हैं... " पापा दल्दी (जल्दी) आना, बनाना (Banana) लाना" ये डिमांड रखते हैं।

पापा शाम में जल्दी आना और बनाना लाना दोनों भूल गए हैं... नौकरी में समय पर वश नहीं होता है। पापा आते ही खेलना शुरू कर देते हैं।

भाईसाहब पापा को पेट के बल लिटाते हैं, पीठ पर एक तकिया रखते हैं फिर उसपर बैठ जाते हैं। पापा के दोनों हाथ पकड़ लिए हैं, जैसे हैंडल हों और "ऊं... ऊं..." की आवाज निकाल कहते हैं "पापा मेली मोटलसाइकिल।" "पापा आप स्टाट (start) हो।" अब मोटरसाइकिल बने पापा भी "ऊं... ऊं..." की आवाज निकाल रहे हैं।

15 20 मिनट तक मोटरसाइकिल चलती है। भाईसाहब मम्मा को याद करने लगते हैं। पापा "मोटरसाइकिल टनल में जानी है, अंधेरा होने वाला है।" कहते हैं, लाइट बंद कर दी जाती है।

पापा भाईसाहब को कंधे पर लिए हैं... दौड़ रहे हैं "ऊं... ऊं..." बोल साथ में मोटरसाइकिल की आवाज निकाल रहे हैं। भाईसाहब अर्धनिद्रा में आ गए हैं... धीमे धीमे मम्मा... मम्मा... बोल रहे हैं।

नाना उनके पैरों की मालिश कर रहे हैं, नानी उन्हें समझा रही है, पापा उनका फेवरेट खिलौना डंप ट्रक ले आए हैं। पापा बगल में लेट गए हैं... भाईसाहब खिलौना पापा के पेट पर चलाते हुए सो जाते हैं।

इनके सोने के बाद पापा मम्मा को फोन फोन करते हैं... मम्मा आंसू बहा रही है... पापा दिलासा देते हैं... इस तरह मुश्किल भरा तीसरा दिन भी निकल जाता है।

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Sunday, June 25, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day2


पापा के ऑफिस से आते ही भाईसाहब चिपक गए हैं। जैसे पापा मम्मा दोनों का प्यार समेट लेना चाहते हों। जैसे कह रहे हों "I missed you, Papa" दिनभर उन्होंने बालकनी, कमरा, बाथरूम, झूले पर शायद मम्मा को ढूंढा होगा...

पापा उनके साथ खेलने लगते हैं, थोड़ा घुमाते हैं, पापा खुद थके हुए हैं तो लेट जाते हैं। भाईसाहब घरभर में घूम रहे हैं, दिन में नहीं सोए हैं तो नाना नानी सुलाने की कोशिश करते हैं और ये "टीवी देखना..." कह जोर जोर से रोने लगते हैं। आधे घंटे टीवी दिखाने के बाद पापा उन्हें सुलाने की कोशिश कर रहे हैं... "एक डायनासोर था... एक बेबी एलीफेंट था... एक टाइगर कब (Cub) था..." और जाने क्या क्या कहानियां... भाईसाहब "मम्मा... मम्मा..." कह सो जाते हैं।

रात (या सुबह) साढ़े चार बज रहे हैं... भाईसाहब यकायक से जाग जाते हैं... शायद कोई सपना देखा है। फिर "मम्मा के पास जाना है, मेरी मम्मा के पास जाना है..." कह बहुत तेज रोना शुरू कर देते हैं। इतना सारा कि देखने वाले के आंसू आ जाएं।

मनाने की पूरी कोशिश जवाब दे चुकी हैं। मम्मा को वीडियो कॉल लगाया जाता है। मम्मा डरी हड़बड़ाई सी उठी है, इतनी रात को कॉल देखकर... भाईसाहब को समझा रही है... "बेटा सो जाओ, सुबह आ जायेंगे... ऑफिस में बहुत काम है ना..." समझाते समझाते चुपके से खुद के आंसू पोंछ रही है।

भाईसाहब थोड़ा चुप होते हैं...पापा कंधे पर ले झुलाते हुए 'आओ तुम्हें चांद पर ले जाएं...' गाना सुनते हुए सुलाते हैं... तकरीबन साढ़े पांच बजे सोते हैं।

मम्मा अभी भी जाग रही है, पापा फोन लगाते हैं, वो लगभग रो देने वाली है... न शौर्य को आसान है, न मम्मा को...

#शौर्य_गाथा #Shaurya_Gatha 

Saturday, June 24, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day1


"I'm leaving my heart here" निधि जाते जाते कहती हैं। उनकी ट्रेनिंग है, एक हफ्ते की। वो शहर से बाहर जा रही हैं। शौर्य को अकेले छोड़ के जाना उनके लिए आसान नहीं है। वो बचते बचाते, आंसू लिए चुपचाप निकली हैं।

वर्किंग वुमन होना आसान नहीं है, कितने सारे Sacrifices करने होते हैं, उन्हें भी और उनके बच्चों को भी।

पापा आज भाईसाहब को सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। भाईसाहब कहानियां सुनकर सोते हैं, मम्मा सुनाने में एक्सपर्ट है। आज पापा बेचारे ट्राइ कर रहे हैं।

पापा: "एक डायनासोर था, बहुत बड़ा था, इतना कि Trees पर बैठे Monkeys से सीधे बात कर लेता था। उसके एक दादाजी थे..."

भाईसाहब: "दादाजी का नाम तया था?"

पापा: "दादाजी का नाम ग्रैंड डायनो था। वे बहुत घूमते थे। एक बार उन्होंने घूमते घूमते एक Cow को देखा..."

भाईसाहब: "पापा, Cow की इश्तोरी सुनाओ।"

पापा: "एक Cow थी, उसका एक Calf था। शौर्य Cow का मिल्क पीता है।"

भाईसाहब: " ताफ (calf) की इश्तोरी सुनाओ... ताफ की।"

पापा (थककर): "बेटा ताफ सो गया है आप भी सो जाओ।"

भाईसाहब: "पापा मुझे मेरी मम्मा के पास जाना है... वहां तलो..." और मम्मा मम्मा कहकर रोना शुरू कर देते हैं।

पापा: "बेटा मम्मा ऑफिस गई है, जैसे पापा ऑफिस से नहीं आते, आज मम्मा भी नहीं आ पाई है। आप सो जाओ...."

दो साल की नन्हीं सी जान कुछ कुछ समझ गई है। अंततः नानी उनको गोद में चिपकाती हैं, नाना उनके पैरों की मालिश करते हैं, पापा सर पर हाथ फेरते हैं... और फिर भाईसाहब सोते हैं।"


पापा, सोच रहे हैं कि सिंगल पेरेंटिंग कितनी टफ होती होगी। हर दिन अकेले ही बच्चे का मां बाप बनना आसान नहीं रहता होगा।


अच्छा है कि भाईसाहब के नाना नानी और भाई बहन (ममेरे) आ गए हैं, नहीं तो पापा को कितना मुश्किल होता!


#शौर्य_गाथा #Shaurya_Gatha

Monday, June 5, 2023

शौर्य गाथा : शुक्रिया #शौर्य_गाथा को इतना सारा प्यार देने के लिए.

 कभी कभी #शौर्य_गाथा लिखना काम की अधिकता की वजह से स्लो हो जाता है तो इंस्पायर करने के लिए कोई न कोई मैसेज, व्हाट्सप्प मैसेज या कॉल आ ही जाता है. मसलन अपने पुराने विज्ञान शिक्षक श्री अजय बारहोलिया जी से बात कर रहा हूँ. 24 साल बाद वो दूसरे विद्यालय में ट्रांसफर होकर गए हैं. वे स्कूल के बारे में बात कर रहे हैं, अपना एक लम्बा समय याद कर रहे हैं कि यकायक से बोलते हैं "यार तुम #शौर्य_गाथा बहुत अच्छा लिख रहे हो." 

मैं कहता हूँ " हाँ सर, जब वो बड़ा होकर पढ़ेगा तो उसे अच्छा लगेगा."

वे प्रत्युत्तर में कहते हैं " बेटा तब वो तो शायद अपनी चीज़ों में उलझा होगा, लेकिन आपको पढ़ के यादें ताज़ा हो जाएँगी पुराने खूबसूरत पलों की."


उनके कहने में ऐसा लगता है जैसे की वे भी #शौर्य_गाथा पढ़कर अपने बच्चों तेजस, तान्या के बचपन के दिनों को, उन खूबसूरत पलों को याद कर लेते हैं.


#शौर्य_गाथा मुझे लगता था कि मेरी उम्र के लोग जिनके बच्चे छोटे हैं बस पढ़ रहे हैं किन्तु आप सबका प्यार, मैसेज, कॉल या  मिलने पर कहने से समझ आता है कि हर उम्र के लोग चाव से पढ़ रहे हैं. एक मित्र जो बेबी एक्सपेक्ट कर रही हैं वे भी मैसेज कर #शौर्य_गाथा के बारे में कहती रहती हैं. :)


शुक्रिया #शौर्य_गाथा को इतना सारा प्यार देने के लिए. मेरी तरफ से भी और प्यारे शौर्य की तरफ से भी. :D