Friday, August 5, 2011

प्यार, इश्क.....और मोहब्बत

 प्यार-                                                                                                                               'मुझे नहीं पता ये क्या है, but मुझे तो अब खुद पे ही doubts हैं. उसने मुझे function में इतनी बार बुलाया फिर भी मैं तुम्हारे साथ क्यूँ गयी, जबकि मैं पहले भी जा  चुकी थी. पता नहीं लेकिन तुम्हे मैं preference दे रही हूँ.' वो बोलती है...... मैं मुस्कुराता हूँ, कहता कुछ नहीं, कहना चाहता हूँ, ये तो मुझे पिछले कई सालों से हो रहा है लेकिन चुप रहता हूँ. 'ये प्यार नहीं है, तुम्हे पता है न मेरे पापा-मम्मी नहीं मानेंगे, और मैं उनके खिलाफ नहीं जाउंगी, तुम समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ? और मैं अपने अन्दर कोई doubts भी नही रखना चाहती.' वो फिर से बोलती है......मैं बस मुस्कुराता हूँ. .....पीछे कहीं से song बज रहा है 'मैं तेरी आँखों में रहता हूँ, तुझे पता न चले'......Jal उसका favorite band है.   

श्क -    
'उसका कॉल आया था, बोल रही थी, मैं उसे भूल जाऊ. एसे कैसे भूल जाऊ यार, येसा थोड़ी न होता है.'  वो बोलता है.....मैं निःशब्द हूँ. ज़िन्दगी सीधे तरीके से क्यूँ नहीं चल सकती है! सोचता हूँ, लेकिन चुप अब भी हूँ. अभी सात-आठ महीने पहले कि ही तो बात थी जब उसकी गर्लफ्रेंड बीमार हुई थी, और उसे कुछ भी याद नहीं था, यहाँ तक कि अपने माँ-बाप भी नहीं, अपना नाम भी नही but उसे अपने बॉयफ्रेंड, मेरे सामने बैठे दोस्त का नाम ज़रूर याद था और वही बोल रही थी बस!! 'क्या तुझे लगता है वो तुझसे प्यार नहीं करती?' मैं अपना मुंह खोलता हूँ. 'पागल है क्या?' वो अजीब तरीके से देखता है, हमारी चाय ख़त्म हो चुकी है और तीसरी बार दो चाय का आर्डर करता हूँ. 'साल्ले तुझे लगता है? तीन साल का प्यार तीन दिन में ख़त्म हो जाता है क्या? उसके बाप ने मना किया होगा.' 'तो उसे प्रॉब्लम क्या है यार?  u r placed in a  good-company- और u r a good guy ! और क्या चाहिए उसे?'..... 'पैसा! मेरा बाप करोडपति नही है, शायद हमारा status मैच नहीं करता.' वो चश्मे से देखता हुआ कहता है.........मुझे पता है उसकी गर्लफ्रेंड का बाप उससे अच्छा लड़का नही ढून्ढ पायेगा, ना ही उससे अच्छी जॉब बाला......फिर भी 'तेरे ससुर को क्या तेरी गर्लफ्रेंड कि शादी तेरे बाप से करानी है?' कहते-कहते रुक जाता हूँ. चाय ख़त्म हो गई है.....मैं चोथी चाय आर्डर करते करते रुक जाता हूँ........मुझे अपनी का ज्यादा चाय पीने  से मना करना याद आ जाता है.

और मोहब्बत....
'साल्ले ज़िन्दगी ट्रायोड नहीं है, यहाँ दो ही चीज़ होती हैं या तो 'हाँ' या 'न' पूछ अपनी उस 'मे बी, मे नोट बी टाइप कंफ्यूज्ड गर्लफ्रेंड से.....या तो इस पार जाए या उस पार........और वैसे भी तू बचपन से बायनरी पढ़ रहा है लेकिन आज तक तुझे ये समझ नहीं आया की ज़िन्दगी भी बायनरी समझती है.' वो लगभग चिल्लाते हुए कहता है. '.....और सच तो ये है की तेरे होने या न होने से उसे कोई फर्क नहीं पडता, रत्ती भर भी नहीं.....और अगर पडता होता तो तेरा कॉल ज़रूर उठा रही होती. साल्ला दिल की एक 'सेल'(कोशिका) भी दर्द करे तो तो पूरा शरीर दहलता है....तू तो समझ रहा होगा न! तेरा जो हाल है, वही हाल उसका होता. लेकिन नहीं है, अगर होता तो तेरे 25 काल्स में से एक का जबाब तो देती, या एक मेसेज ही करती ....'    ........मैं शांत रहकर उसकी बात सुनता रहता हूँ. मुझे पता है वो सही कह रहा है.......पूरा नहीं तो थोड़ी बहुत सो सच्चाई है........'चल अब कहीं मूड फ्रेश करने चल. वो मेरा हाथ पकड़ लगभग खींचते गले लगा लेता है. वो मेरी नम आँखों को पढ़ सकता है. मैं कहना चाहता हूँ यही तो मोहब्बत है. हम यादव की चाय पीने जा रहे हैं......सुना है जो दारु नहीं पीते चाय से काम चलाते हैं.

                  

                                                                                                          ~VIVs***