Sunday, June 17, 2018

रात

एक खूबसूरत नींद कभी कविता नहीं कहती
एक बदसूरत रात कभी बच्चे नहीं जनती.

उसने कहा मेरा पोट्रैट बनाओ
मैंने कैनवास काला कर दिया
वो चकित थी
कि मैं उसे इतना अच्छे से कैसे जानने लगा हूँ.

मैंने नींद कि गोलियां लेना शुरू की
उसने प्रेम में कवितायेँ लिखीं
उसने धीमे से मेरा माथा चूमा
वहां का खून जम काला पड़ गया.
उसने कहा 'उसे मेरे जैसा प्रेमी ही चाहिए था'
और मेरा दम घुटने लगा.

वो लबालब हो गई मेरे प्रेम में
ऐसा उसने कविता में लिखा
फिर बोली 'अच्छा तुम भी कुछ सुनाओ.'

मैं हौले से बुदबुदाया
'मैं उबर चुका हूँ तुम्हारी छुअन से
तुम्हारे छूने से अब आत्मा नहीं धधकती.'

वो बदसूरत रात कट-फट चुकी थी
लेकिन ये बेहद खूबसूरत अंत था.