Saturday, June 5, 2021

जंगल की कहानियां : #buxwahaforestmovement

 #savebuxwahaforest #buxwahaforestmovement

1974 से हम विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं, to raise awareness on environmental issues such as marine pollution, human overpopulation, global warming, sustainable consumption and wildlife crime और बाकि हर दिन हम धरती का क्षरण करते हैं।
अगर एक व्यक्ति शतायु होता है और जिंदगी के पहले दिन से एक पौधा रोज लगाता है तो पूरे जीवन में वो 36525 (365x100 और लीप वर्ष मिला कर) पौधे ही लगा पाएगा।
मुझे पता है हम में से कोई भी ये नहीं कर पाएगा लेकिन वन संपदा जो आपको विरासत में मिली है उसे हम खत्म किए जा रहे हैं। लगभग 215000 (2.15 लाख) पेड़ बक्सवाहा में ही एक झटके में खत्म कर देंगे।
अगर कोई बोले कि मैं पर्यावरण हितैषी हूं, एक पौधा रोज लगाता हूं और आप #savebuxwahaforests या अन्य किसी जंगल/पर्यावरण क्षरण के खिलाफ़ आवाज में साथ नहीं देते हैं, उसे रोकने की कोशिश नहीं करते हैं तो ये आपकी हिपाक्रेसी (Hypocrisy) है!
आज 5 जून को हम पौधा लगाएंगे, सेल्फी लेंगे और सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे। वन बचाएं, बन बनाएं का नारा लगाएंगे। लेकिन छत्तीसगढ़ की 850 हेक्टेयर की जनजातीय बसाहट की जंगल की जमीन कोयला खान के लिए आवंटित की जाएगी तो चुप रह जायेंगे। 364 हेक्टेयर का बक्सवाहा का जंगल जाएगा तो उसके लिए चुप रहेंगे, नियमगिरि (उड़ीसा) के पवित्र पहाड़ बरबाद होंगे, वहां की नदियां प्रदूषित होंगी तो कोई कुछ नहीं बोलेगा। हिपाक्रेसी की भी एक सीमा होती है!
हममें से हजारों हैं जिन्होंने Covid-19 से परिवार का कोई सदस्य या रिश्तेदार खोया है। हममें से कितने ही ऑक्सीजन सिलेंडर की लाइन में लगे हैं। कितने ही एक समय खुद की सांसे गिने हैं, कोविड पॉजिटिव हुए तो प्रार्थना किए हैं कि ईश्वर हमारी सांसे बचा ले! क्या सांसे ऐसे ही बचती हैं?
तुम्हारी सांसों के लिए ऑक्सीजन लगती है और ऑक्सीजन पैदा करने पेड़, और पेड़ कभी अकेला पेड़ नहीं होता है, जंगल के इकोसिस्टम का हमेशा एक हिस्सा होता है। पेड़ बचाने हैं तो पूरा जंगल, पूरा इकोसिस्टम बचाना होगा। Compensatory Afforestation सिर्फ पेड़ लगा सकता है, patches में लगे ये पेड़ सदियों से बना एक जंगल कभी नहीं बन सकते, ये याद रखना।
कई जगह बीच का रास्ता नहीं होता बाबू। जैसे तुम्हारी जिंदाही और मौत के बीच का कोई रास्ता नहीं है। है भी तो उसे कोमा कहते हैं उस हालत में तुम जाना नहीं चाहोगे। याद रखना जंगल बचाने और न बचाने के बीच का भी कोई रास्ता नहीं है। Compensatory Forestation look good on paper but not a substitute for a 1000 years old forest.
और हां, अंत में यदि आप किसी natural place पर, किसी जंगल, वन अभ्यारण में घूमने जाते हैं और प्लास्टिक, पॉलिथीन या रैपर या अन्य कोई कचरा छोड़ के आते हैं और सोशल मीडिया पर #SaveEnvironment या #SaveForest की बात करते हैं तो याद रखना ये आपकी हिपाक्रेसी हैं।
#WorldEnvironmentDay मनाइए #SaveForests #SaveBuxwahaForests कैंपेन का हिस्सा बनिए किंतु साथ ही खुद को भी बेहतर बनाइए।