Wednesday, July 24, 2013

वालिद कहा करते हैं
मर्द कभी रोते नहीं.

मुझे लगता है,
औरत कभी नहीं रोती
जब तक मर्द उसे न रुलाये!

...और मर्द तब तक नहीं रोता,
जब तक कोई औरत
उसके झूठे अहं में
छेद न कर दे.

मुहे पता है वालिद,
इस दफे मैं सही हूँ!

Sunday, July 21, 2013



मेरी दखल से तंग आ
वो पूछती है मुझसे-
'तुम क्या थे? तुम क्या हो?'

मैं वो था,
जिसकी आँखों में
चार सपने पल रहे थे
और हर सपने में तुम थी.

मैं वो हूँ,
जिसकी आँखों में
चार सपने बिखरे हैं
और हर टुकड़े में तुम हो.

Saturday, July 13, 2013

शर्ट की जेब से अब भी तुम्हारी बू आती है...



एक अँधेरा कमरा, रात का बीतता तीसरा पहर और रह-रह के आँखों पे छाता तेरा अक्स....तन्हाई ज़ालिम नहीं होती, तन्हाई में तुम खुद को टटोल सकते हो....और मैंने टटोला तो मैं नहीं वहां, तुम थे...मेरे ज़िस्म में, मेरे जेहन में....

---

मुन्तज़िर मैं नहीं तेरा,
न ही चाहता हूँ तुझे.

इस नज़्म को तो बस
तन्हाई में रूह से
निकलने की बुरी आदत है!

--***--

इस फलक पे चाँद में
तू नहीं दिखती अब.

इश्क में था
तो शायद कोई और फलक
ओढ़े था हमें!

--***--

उस धुंधली गली में
तुम चिपक जाते थे मुझसे.
वो एक-दो बोसे
मेरे गालों पे चिपके हैं अब भी.

सीने में छुपा है तुम्हारा चेहरा.
शर्ट की जेब से
अब भी तुम्हारी बू आती है.

--***--

आहटें छुपाने
हाथों में ले गयी चप्पलें.
चलना अँधेरे में बड़ी दूर.
मुस्कुराना बिना कुछ कहे ही.
फिर 'कुछ नहीं' में सारा कुछ कह देना.

मेरी ज़िन्दगी में
कोई 'नयी' आई है 'शोना'.
इस 'नयी' संग
सारा कुछ दुहराने का मन नहीं होता.

'शोना' तुम अतीत हो,
फिर वर्तमान क्यूँ बदल रहे हो?


Pic: Devika Agrawal's Painting 'Girl Face'. Kash! Maine ise banaaya hota!

Thursday, July 11, 2013

शिल्पी से......





पत्थरों पे बिखरे निशां
अन्दर तपते लोग!
तुम्हारी मेहनतें
रौंदते चले जाते हैं हम....
कुछ-कुछ कैद कर लेते हैं-
आँखों में, फोटो में.

क्या तुम बताओगे शिल्पी
'कि तुम्हें हमारे देखने की
ख़ुशी होती है,
या हमारे रौंदने का गम?'


Pic: Chennakesava Temple @Belure