Saturday, May 25, 2013

क्यूंकि तुम होती हो!





'यू नो, आजकल जिसे भी पढ़ती हूँ, सबकी कहानियों में सिगरेट होती है, शराब होती है, जिस्म होता है और सेक्स भी....जैसे इन सब के बिना इश्क कभी पूरा नहीं होता और न कोई लव स्टोरी. चेतन भगत को ही देख लो. तुम्हारी कहानियों में ये सब क्यूँ नहीं होता? ऎसा इश्क कैसे कर लेते हो तुम....बिना  सिगरेट, शराब के?'
'क्यूंकि मैं चेतन भगत नहीं हूँ?'
'हाँ नहीं हो, तभी तो तुम्हारा इश्क बस बैचेनी और दर्द से भरा होता है. कभी-कभी सोचती हूँ तुम्हारी कहानियाँ उनसे ज्यादा पवित्र हैं....और शायद इश्क भी.'
'क्यों? क्यूंकि उनमें सेक्स नहीं है इसलिए?'
'नहीं, इसलिए नहीं. क्यूंकि उनमें सच्चाई है बस इसलिए. तुम्हें पढ़ते मैं रूह के सबसे पास होती हूँ.'
हम एक दूसरी की तरफ देखते हैं. वो हौले से मुस्कुराती है.
'मैं जा रहा हूँ.'
'फिर कब आओगे 'विव'?'
'कभी भी... मैं तुमसे दूर ही कितना हूँ? बस एक बियर की बोतल तक!'
हा हा हा..... हम हँस पड़ते हैं.........
'देखो आ गयी न शराब.'
'क्या अब ये भी लिखोगे तुम?' वो हग करते -करते बोलती है.
'हाँ............'

       ......... और देखो मैंने लिख दिया!

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'देखो वो बादल...तुम्हारे जैसा लग रहा है. बिलकुल 'भौंदू'. वो आसमान की ओर उंगली उठाते बोलती है.
'मैं भौंदू नहीं हूँ.'
'हाँ तब तुम बेवकूफ हो. पता है दुनिया का सबसे ज्यादा मुस्कुराने बाला इन्सान सबसे ज्यादा तन्हा होता है.......और जो तन्हा दिखता है वो बस दिखता है....शायद प्रेटेंड करता है दुनिया की नज़र में कि वो तन्हा है. हकीक़त में उसके पास भीड़ होती है और सच्चे लोग भी. तुम उन बेवकूफों में से हो जो तन्हा दिखते हैं.'
'क्यों? तुम्हें क्यूँ लगता है की मैं तनहा नहीं हूँ?'
'क्यूंकि तुम्हारे पास मैं हूँ.' वो धीरे से गाल चूमती है. '...और सिर्फ उसका न होना (My Ex) तुम्हें तन्हा नहीं कर सकता 'विव'. आज में जियो, मुझमें जियो.'
'हाँ, मैं शायद भौंदू हूँ.' मैं मुस्कुराता हूँ. वो मुझसे लिपट जाती है.

        कुछ शामें हसीन बिना बारिशों के भी होती हैं. क्यूंकि तुम होती हो!

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'तुमने कभी डस्टर सूंघ के देखा है?'
'तुझे मैं पागल दिखता हूँ?'
'पागल नहीं बेवकूफ, वाइट बोर्ड का डस्टर....सूंघ के देखना मस्त खुशबू आती है.'
'बेबड़ी वो अल्कोहल की बू है, नशेड़ी हो तुम पूरी.'
'मैंने कभी शराब नहीं पी. बेबड़ी नहीं हूँ, समझे.'
'तो क्या हो?'
'आशिक.......तुम्हारी.' वो आँख मारती है.
'छुपचाप काम करो बेटा, शाम को ऑफिस से जल्दी निकलकर घुमने चलते हैं.'
'हाँ, मेरी स्कूटी पे, तुम्हें तो बाइक चलानी भी नहीं आती.' वो खिलखिलाती है.

तुम्हारी हंसी में कितना भोलापन है 'अशु' ....तुम पहले क्यूँ नहीं मिले.

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Pic: Lord Frederic Leighton's world famous Painting 'Flaming June'