Sunday, November 21, 2010

आदतें...


 1.
दूर जाना चाहूँ तो,
आफतों की तरह
इठलाती आती है तू!
जैसे मुझपर सिर्फ तेरा हक है!

मुस्कुराता हूँ मैं,
आफतें भी अच्छी लगती हैं फिर!

 2.
भूलना चाहूँ तो,
धुंए की तरह
छा जाती है तू!

तेरी यादों के धुंध से,
भर जाता हूँ मैं!

 3.
रुलाना चाहूँ तो,
खिलखिलाती है तू!
जैसे रातरानी झड़ रही हो चाँदनी मैं!

बचपन की बिसरी सी,
परीकथाएँ सच लगने लगती है फिर!

 4.
छूना जो चाहूं तो,
छुईमुई की तरह
शर्माती है तू!

अचंभित मैं!
बस देखता रह जाता हूँ तुझे.

 5.
पाना चाहूँ तो,
बादल की तरह
भिखर जाती है तू!

बूंदों से सरोबार,
पुलकित हो उठता हूँ मैं!

 6.
हँसाना चाहूँ तो,
ढले सूरजमुखी की तरह
मुरझाती है तू!

मैं घबराता हूँ तो,
मेरी हालत पे खिलखिलाती है.
ज्यों सूरज फिर उग आया हो!

 7.
सरबती पलों में कभी,
लहरों की तरह बह जाती है तू!

तट पर ठिठुरता मैं,
बस राह तकता रह जाता हूँ !!

                                 ~V!Vs**