रूह से निकल नज्में
हलक में अटक जाती हैं.
तुम्हारा इश्क सबा है,
सहर-दर-सहर हौसला देता है
आप ही अल्फ कागज़ पे उतर जाते हैं.
दवाख़ाने का बूढ़ा कहता है
उसकी दवा से मोहब्बत फिर जवां होती है.
गलत है वो...
मोहब्बत जिस्म का खेल होता
तो मेरी नज्मों को तुझसे इश्क न होता! ~V!Vs
Pic: K. Madison Moore