Wednesday, January 12, 2022

India As I Know: The Super Teacher #youthiconofindia

 


मैं सुबह से भ्रमण पर हूं। 'सर, यह निगहरी गांव है।' साथ में बैठा साथी बोलता है.


मैं गाड़ी की खिड़की से देखता हूं। बहुत छोटा सा गांव है 60 70 घरों का। इस जगह पर ऐसा भी नहीं है कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की इमारत या साक्ष्य हो। इसलिए उनसे पूछता हूं , 'ऐसा क्या खास है इसमें?'

'सर यहां के प्राइमरी शाला के मास्टर राजेश सोनी से मिलवाता हूं, 2019 में कलेक्टर साहिबा भी मिलने को आ चुकी हैं'

'सिर्फ सोनी जी से मिलने के लिए आई थीं?'

'जी सर'


हम निगहरी के प्राथमिक स्कूल के सामने खड़े हैं। सरकारी स्कूल ही है, मध्य प्रदेश के अन्य स्कूलों की तरह।


हम अंदर जाते हैं, 20-30 बच्चे बाहर ही चबूतरे पर सर्दी की धूप का आनंद लेते हुए बैठे हुए हैं। साथी मेरा परिचय देते हैं। सोनी जी एवं एक अन्य शिक्षक राजपूत जी आगे आते हैं।

'सर बड़े दिन से मैं आपसे मिलना चाहता था।' वह हाथ मिलाते हुए बोलते हैं।


फिर वह वह के स्कूल के कक्ष के अंदर लेकर जाते हैं। सामने दो चित्र हैं- पहला, सागर के तत्कालीन कलेक्टर Preeti Maithil Nayak IAS के आगमन का। दूसरा, नीति आयोग के लिए काम कर रहीं श्रीमती सचिता गुरुंग का।


' सर इन लोगों ने स्कूल आकर मेरे काम की सराहना की थी।' दोनों चित्रों के आगंतुक बड़े प्यार से जमीन पर बैठकर बच्चों के साथ किसी TLM (Teaching Learning Module/Material) को देख रहे हैं।


हम कक्ष के अंदर जाते हैं और मुझे समझ में आते हैं कि राजेश सोनी जी कोई साधारण प्राइमरी स्कूल टीचर नहीं हैं। अंदर दीवारों पर, फर्श पर टेबल बहुत सारे उनके स्वयं के बनाएं इंस्ट्रूमेंट रखे हुए हैं।


वे उत्साह से बताना शुरू करते हैं 'सर, इस कच्ची उम्र में बहुत आसानी से बच्चों को विषय समझ नहीं आते हैं इसलिए मैंने पढ़ाने के लिए नए-नए इंस्ट्रूमेंट बनाएं जिससे बच्चा आसानी से समझ लेते हैं। सारे इंस्ट्रूमेंट कबाड़ को रिसाइकल करके बनाए हैं। कुछ में थर्माकोल की सीट का उपयोग है।'


वे एक TLM इंस्ट्रूमेंट के पास लेकर जाते हैं। सर अगर में बच्चों से पूछता हूं कि 3+ 5 कितना होगा तो वह पहले इंस्ट्रूमेंट की 3 लिखी जगह की चाबी खींचेगा, फिर 5 की। दोनों बारे में उसे अंक अनुसार कंचे नीचे मिल जाएंगे। फिर बस वो उनको गिनकर उत्तर दे देगा।


दीवार पर चार पांच सर्किल के बने हुए हैं। पता चलता है कि एक भाग, एक तिहाई भाग, एक चौथाई भाग क्या होते हैं।


एक प्यारा सा खिलौना शब्द चक्र है जिसमें घुमाने पर दो या तीन अक्षर के शब्द बन जाते हैं। मैं घुमाकर 'बस' और 'पल' बनाता हूं। बहुत ही मजेदार और इंटरेस्टिंग था। शुरू करता हूं तो घुमाता ही रहता हूं।


कबाड़ से एक बहुत प्यारा गुलदस्ता बनाया है। उसके फूलों पर कार्डबोर्ड की तितलियां हैं जिन पर बहुत खूबसूरतीसे अंग्रेजी व हिंदी में दिन लिखे हुए- Sunday रविवार Wednesday बुधवार।


'सर 5 लीटर की खाली कुप्पी से पॉट बनाया है और रंगीन पॉलिथीन से फूल। इससे बच्चे रंग भी पहचानते हैं और दिन भी समझते हैं।'


 छोटे-छोटे पॉकेट वाला एक बोर्ड है जिसकी हर पॉकेट में एक शब्द रखा हुआ है, जमीन पर सांप सीढ़ी बनी हुई है। वजन मापन समझाने खुद से बनाई तराजू है, खुद के बनाए वजन हैं। ऐसी अनेक छोटे छोटे इंटरेस्टिंग खिलौने हैं।


बच्चों को पढ़ाने का एक यूनिट तरीका है बहुत ही मजेदार इतना कि किसी खिलौने को आप हाथ में ले ले तो खुद ही बहुत देर खेलते रहें।


सागर जिले की देवरी तहसील के छोटे से गांव जनजाति बहुत निगाहरी गांव के प्राथमिक शाला के शिक्षक के पास इतनी क्रिएटिविटी होगी, इतने नए तरीके होंगे, मैंने सोचा नहीं था।


 मैं उनसे एक दो सवाल करता हूं। वह बताना शुरू करते हैं-


'सर ये बहुत छोटा सा गांव है, पूरे जनजातीय लोग हैं। लगभग सभी गरीब हैं। मैं जब गांव आया तो लगा कि कुछ किया जाना चाहिए। मुझे पढ़ाने में इंटरेस्ट था, मेरी पेंटिंग भी अच्छी है, इसलिए मैंने कुछ अलग तरीके से समझाते हुए पढ़ाने का सोचा।'


'बच्चे जब बहुत अच्छे से पढ़ते हैं, सवाल हल करते हैं या शब्द पहचानना शुरू करते हैं तो बड़ी खुशी होती है। इस उम्र में बच्चे खेल खेल में ही सीखते हैं।'


मैं उनसे विदा लेकर गाड़ी में बैठता हूं। मेरे साथी बताना शुरू करते हैं। 'सर सच तो ये है कि सोनी जी ने बच्चों को लगभग गोद लिया हुआ है। बच्चों के हांथ मुंह धुलने से लेकर नाक पोंछने तक, जरूरत की दवाई देने तक का काम सोनी जी करते हैं। जरूरत पड़ने पर बच्चों के परिवार की आर्थिक मदद भी करते हैं। बहुत मेहनत करते हैं।'


अपने काम से इतना प्यार करने वाले इतनी शिद्दत से अपना काम करने वाले बहुत ही कम लोग होते हैं।


बहुत छोटी उम्र छोटी जगह पर बहुत सारे Unsung Heroes बहुत बड़ा difference create कर रहे हैं। राजेश सोनी जी और Abhishek जैसे लोग से उनमें से एक है।


अक्सर बच्चे और PSC की तैयारी कर रहे युवा मेरे से मुझसे पूछते हैं कि 'मैं कुछ बड़ा करना चाहता हूं, मुझे आगे क्या करना चाहिए?'

अपने छोटे छोटे काम को सही ढंग से किया जाए तो वह भी बड़ा काम हो होगा। कोई भी काम बड़ा नहीं होता है बल्कि अपने काम को ईमानदारी और मेहनत से करना ही एक बड़ा काम है। 


#indiaasiknow 


[फोटो: श्री राजेश सोनी जी ]