इश्क
इश्क क्या है?
कुछ हंसते पल,
कुछ मिलकर बांटे गम
...और साथ रहने के सारे वादे!
फिर उम्र भर की दूरियां!
इससे ज्यादा कुछ और हो तो
मुझे समझा दो तुम.
दूरियां!
दूरियां
दो लोगों के दूर रहना नहीं,
पास रह पसरी ख़ामोशी है!
देखो, मीलों दूर रह भी
कितने पास हैं हम!
.....और मैं अपने से
कितना हूँ दूर!
ख़ामोशी...
ख़ामोशी से
मेरे जीवन के कुछ धागे
तेरी ज़िन्दगी से उलझ गये!
फिर मिल हमने कई सारे
रंग भर लिए!
क्या हर रंग पर
कालिख पोतना ज़रूरी है अब!
अब
अब तक
हम का मतलब 'हम' था,
अब 'हम' को मत बांटों.
मैं 'हम' से 'मैं'
नहीं होना चाहता!
कच्ची रस्सी के
कुछ पक्के धागे जुड़े थे,
उन्हें खोना नहीं चाहता!
तुम्हारे लिए!!
तुम कहते थे ना
चाहकर भी नही लिखना चाहता.
देखो, लिख दी
बिन चाहे ही...
ये छोटी सी कविता,
तुम्हारे लिए!!
इश्क क्या है?
कुछ हंसते पल,
कुछ मिलकर बांटे गम
...और साथ रहने के सारे वादे!
फिर उम्र भर की दूरियां!
इससे ज्यादा कुछ और हो तो
मुझे समझा दो तुम.
दूरियां!
दूरियां
दो लोगों के दूर रहना नहीं,
पास रह पसरी ख़ामोशी है!
देखो, मीलों दूर रह भी
कितने पास हैं हम!
.....और मैं अपने से
कितना हूँ दूर!
ख़ामोशी...
ख़ामोशी से
मेरे जीवन के कुछ धागे
तेरी ज़िन्दगी से उलझ गये!
फिर मिल हमने कई सारे
रंग भर लिए!
क्या हर रंग पर
कालिख पोतना ज़रूरी है अब!
अब
अब तक
हम का मतलब 'हम' था,
अब 'हम' को मत बांटों.
मैं 'हम' से 'मैं'
नहीं होना चाहता!
कच्ची रस्सी के
कुछ पक्के धागे जुड़े थे,
उन्हें खोना नहीं चाहता!
तुम्हारे लिए!!
तुम कहते थे ना
चाहकर भी नही लिखना चाहता.
देखो, लिख दी
बिन चाहे ही...
ये छोटी सी कविता,
तुम्हारे लिए!!