सड़कनामा
प्यार करना बहुत ही सहज है, जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना. -पाश
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Friday, May 28, 2010
बुढ़ापा
तब.....
मैं उसे,
कभी बेटू, कभी छोटू,
कभी चिल्ड, कभी शैतान,
कभी प्यारे, कभी दुलारे,
कह के बुलाता था,
और वो दौड़ा चला आता था.
अब....
वो मुझे,
कभी बुड्ढ़े, कभी ओल्डी,
कभी बापू, कभी दद्दू,
कभी निकम्मे,कभी पागल,
बुलाता है,
और मैं दौड़ा चला आता हूँ
,
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