Monday, August 2, 2010

Ishq

(Few words are enough to describe feelings, LOVE or ink from whole world is unable to describe; both things are true.
I hope these few three liners are capable to show feelings, thats why im writing. I hope you will like these 'TRIVENIs')

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जबसे तनहा तड़पा हूँ याद में,
लड़की, लड़की कह चिड़ाने लगे हैं लोग.

लगता है मेरे जिस्म से भी अब तेरी खुशबू आती है.

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तूने साथ छोड़ा मेरा, कोई गिला नहीं,
मैं खुश हूँ कलम तो साथ है मेरे.

शुक्र है नज्में ख़ूनी नहीं होती.

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तेरे दिए ज़ख्म इतने बुरे भी नहीं,
चलो अच्छा है दूर से पहचान लेंगे लोग.

सुना है लाल रंग बड़ी दूर से दिखता है.

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टपकती छट ने सारा बिस्तर भिगो दिया,
फिर भी ये मौसम सुहाना लगता है.

मेरे आँसू कोई नहीं पहचान पाता बारिश में!

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पहाड़ दूर से देखा, बहुत सुन्दर था,
पास गये, पैरों में फफोले पड़ गये.

तू दूर है तो अच्छा है!!

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यूँ ना गम के आँसू बहाव आशिक,
कलम में डुबा कुछ  उकेर दो इनसे.

सुना है दर्द में नज्में खूबसूरत बनती हैं.

                                               ~V!Vs **