Tuesday, January 23, 2018

बाहर रहने के अठारह साल बाद


बाहर रहने के अठारह साल बाद
आप महसूस करते हैं
कि घर की दीवारों ने पहचानने से कर दिया है इंकार.
बाहर रहने के अठारह साल बाद
आप महसूस करते हैं
कि हर शहर में आपने बनाने की कोशिश की है
एक नया घर,
कुछ नए रिश्ते,
और फिर सारा समेट यादों में
आप पलायन कर गए वही दुहराने.
बाहर रहने के अठारह साल बाद
आप महसूस करते हैं
कि कई अलग अलग लड़कियों में
आपने देखी है अपनी मां
और कई अलग अलग कमरों में
बनाने की कोशिश की है अपना घर.
बाहर रहने के अठारह साल बाद
आप खुद से लड़ लेते हैं
और खुद को ही खुद ही नोंच लेते है
भाइयों की याद आने पर.
बाहर रहने के अठारह साल बाद
आपको पिता की डांट याद नहीं रहती
और खुद को आइने के सामने रख
डांट लेते है एक- दो दफा.
फिर प्रण लेते हैं कोई गलती न दोहराने का.
बाहर रहने के अठारह साल बाद
आप कई लड़कियों के संग
बनाने का सोचते हैं घर,
जो बिल्कुल बचपन के घर सा होता है.
लेकिन...
बाहर रहने के अठारह साल बाद,
आप प्रण लेते हैं
कि आपके बच्चे नहीं होंगे विस्थापित.
और एक गहरी सांस ले
घर की याद में
टपरे की चाय संग फूंकते हैं एक सिगरेट
कि जैसे यादें भी फुंक जाएंगी इस तरह.
इतने वर्ष बाद
आप खुद ही हो चुके होते हैं अपना घर,
मां और पिता अपने भी,
प्रेमिका के भी
और प्रेमिका भी हो चुकी होती है
थोड़ी थोड़ी मां.
लेकिन यादों में सालता रहता है घर
और वो दो जोड़ी आंखें
जो घर से जाते वक़्त रास्ता तकती रहती हैं,
पुन: लौट आने तक.