Thursday, December 8, 2022

शौर्य गाथा : Parents' Struggle


 रात के साढ़े ग्यारह बज रहे हैं, मां पापा दोनों को नींद आ रही है और भाईसाहब अभी भी एक्टिव हैं. सीलिंग फैन की और इशारा कर बोलते हैं, 'पापा, वो?' पापा उन्हें बताते हैं कि 'ये फैन है, गर्मी में काम आता है.' अब वो दूसरे फैन की और इशारा करते हैं 'पापा. वो?' पापा फिर वही जवाब दोहराते हैं. अब ये अपने छोटे-छोटे पांव से बेड से नीचे उतर ठन्डे फ्लोर पर आ गए हैं. पापा उन्हें मोज़े पहनने के लिए कहते हैं वो जवाब देते हैं, 'नहीं पापा, नहीं.' पापा उन्हें पकड़ कर फिर से बेड पे रखते हैं, भाईसाहब फिर से पूरी ताकत लगाकर अपने को पापा से छुड़ा लेते हैं और फिर से वही काम शुरू. 

बेचारे पापा-मम्मा को डर है कि इन्हें सर्दी न हो जाये. भाईसाहब को बेड पे चढ़ाने की वही कोशिश मम्मा भी दो बार करती हैं और मामला सिफर रहता है. इन्होंने आईने में खुद को देखना शुरू कर दिया है. खुद को देखकर कहते हैं 'पापा, वो?' पापा जवाब देते हैं कि 'ये आप हैं.' भाईसाहब अपनी छोटी सी उंगली मुंह पर रखकर बोलते हैं 'अच्छा...'

पापा दूध गर्मकर लाते हैं, मम्मा बार-बार मोज़े पहनाती है. भाईसाहब न दूध पीते हैं, न मोज़े ही पहनते हैं. 

अंत में थककर मम्मा रूम की लाइट बंद कर देती है और बोलती है 'लाइट गई शौर्य.' भाईसाहब अँधेरे में ही बोलते हैं 'पापा लाइ.. त... गई... लाइ.. त...'

पापा उन्हें उठाते हैं, रजाई में छिपाते हैं और कहते हैं 'बेटा, अँधेरा हो गया है अब सो जाओ.' भाईसाहब 'ओते पापा' कहते हैं.

पापा घडी देखते हैं. भाईसाहब को सुलाते सुलाते डेढ़ बज गया है. मम्मा बेचारी इम्पोर्टेन्ट फाइल पढ़ सुबह चार बजे सोती है.

#शौर्य_गाथा 

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