प्यार करना बहुत ही सहज है, जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना. -पाश
Tuesday, August 29, 2023
तुम
Monday, August 28, 2023
Love and Goodbyes
Sunday, August 27, 2023
इक ख़त, जिसमें लिखा था कि
Saturday, August 26, 2023
Papa's Letters to Shaurya. #SecondLetter
तुम स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम की तैयारी कर रहे हो। यूट्यूब से वीडियो देख वाकई बहुत अच्छा कर रहे हो। हम दोनों तुम्हें देख रहे हैं और हमारे लिए बड़ा इमोशनल मोमेंट होता है। तुम्हारा डांस, हर एक एक्ट, हरकत वाकई बहुत प्यारी है। हम दो-तीन बार तुम्हारे वीडियो बनाते हैं।
14 अगस्त को कल्चरल प्रोग्राम है, तुम स्कूल पहुंचते ही रोने लगते हो, हमेशा की तरह। मैं कोशिश करता हूं पर तुम चुप ही नहीं होते। पहला परफॉर्मेंस प्ले के बच्चों का ही है और तुम रोते हुए स्टेज पहुंचते हो। मैं इमोशनल हो जाता हूं और तुम्हें स्टेज से उतार गोद में ले लेता हूं।
ऐसा अक्सर होता है, हमारे पूर्व की तैयारी अच्छी होती है पर कभी-कभी मुख्य परफॉर्मेंस के समय ऐसा नहीं हो पाता... कभी-कभी कुछ-कुछ Unexpected घट जाता है, जिसके लिए हम तैयार नहीं होते हैं।
ऐसा इस तरह का है जैसे Fully Prepared सचिन का टेनिस एल्बो के कारण खेल नहीं पाना या किसी डांसर के पैर में परफॉर्मेंस से पहले चोट आना।
तुम बड़े हो जाओगे तो समझोगे कि जिंदगी जीत नहीं है, हमेशा बेहतर परफॉर्मेंस नहीं है, हमेशा फॉर्म में रहना नहीं है। जिंदगी अपने Highs और Lows को एंजॉय करना है। दोनों जगह पर, दोनों बार कुछ-कुछ सीखना है। Lows में बेहतरी की नई कोशिश और Highs में बेहतरी की और अधिक कोशिश!
मुझे मेरी पहली परफॉर्मेंस याद है। मैं तब करीब 4 साल का था। (तुम ढाई साल के भी नहीं हो, शायद तुम्हें याद भी ना रहे।) स्कूल में परफॉर्मेंस थी। मुझे "मछली जल की रानी है..." स्टेज पर जाकर बोलना था। मैं स्टेज पर बस सर खुजलाता रह गया। मैं भूल ही गया कि क्या बोलना था। कुछ दूर पर अतिथि के रूप में स्टेज पर बैठे तुम्हारे दादाजी से बोलता हूं कि "पापा, सर खुजला रहा है।" और वो हंसने लगे। जबकि ऐसा था भी नहीं। बस नर्वस होने के कारण ऐसा कर रहा था।
तुम्हारे दादाजी ने इस घटना का जिक्र कभी किया नहीं और स्कूल में मुझे बिल्कुल Stage Fear नहीं था। अच्छा स्टेज परफॉर्मर था।
Lows शायद किसी धावक का दौड़ने के पहले झुककर अपना पैर पीछे करना है। Highs एक सीढ़ी चढ़ अगले की पुनः तैयारी करना है।
ओशो अपने प्रवचन में कहते हैं कि "भगवान महावीर ने कहा है आप जैसा/जो बनना चाहते हैं वैसा/वो सोचना शुरू कर दो।" मजेदार बात ये है कि 2600 साल बाद ब्रह्माकुमारी सिस्टर शिवानी भी बिल्कुल यही बात बोलती हैं।
दौ हजार छः सौ साल बाद भी फिर से वही बात क्यों बोलनी पड़ रही है? ज्ञान का पुनः प्रसारण क्यों जरूरी है? एकाग्रता क्या है? किसी और पत्र में बताऊंगा...
तुम्हारे पापा
#शौर्य_गाथा #Shaurya_Gatha
Thursday, August 24, 2023
शौर्य गाथा 70.
भाई साहब के हाथ में मोबाइल चार्जिंग केबल है। भाई साहब के पापा को लगता है कि वे गले में न फंसा लें ।इसलिए पापा उनसे लेने की कोशिश करते हैं।
Tuesday, August 22, 2023
Papa's Letters to Shaurya. #FirstLetter
जब भी तुम्हें स्कूल छोड़ने जाता हूं और स्कूल के गेट से ही तुम रोने लगते हो मुझे बहुत स्ट्रांग होना पड़ता है। तुम्हें छोड़ अपनी भीगीं कोरें लिए मैं चुपचाप लौट आता हूं। जब मैं बोर्डिंग गया था बहुत रोया था। हर दिन स्कूल के मेन गेट पर खड़ा होता था, तुम्हारे दादाजी के इंतजार में। तुम्हारे दादा जी बड़े स्ट्रांग थे मैं थोड़ा-थोड़ा धीमे-धीमे बन रहा हूं लेकिन एक बात जो मैं तुम्हारे साथ नहीं होने देना चाहता वह है 'अकेलेपन का एहसास' और बोर्डिंग के शुरुआती दिनों की खरोंचें जो मेरे साथ हमेशा के लिए रह गई है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे साथ भी स्कूल के शुरुआती दिन की यादें आंसू वाली हों। शायद इसलिए भी मम्मा के कहने के बावजूद मैं तुम्हें पकड़ने चला जाता हूं, गले लगा लेता हूं।
Friday, August 18, 2023
प्रतापी अक्षयकुमार!
महाकाव्य रामायण में अक्षयकुमार को पढ़ते पढ़ते अनायास ही महाकाव्य महाभारत के अभिमन्यु का स्मरण हो आता है. यहाँ सोलह साल का कुमार अपने पिता से जिद कर के देश में घुस आये अज्ञात शत्रु से भिड़ने के लिए चला जाता है, वहां तेरह साल का कुमार अपना अधूरा ज्ञान लिए अपने ताऊ युद्धिष्ठर से जिद कर लड़ने चला जाता है. वही ज़िद, वही जूनून. यहां हनुमान इस छोटे से बालक की वीरता देख हतप्रभ हैं और उसकी तारीफ में कहते हैं -
अयं महा त्मा च महां श्च वी र्यतः समा हि तश्चा ति सहश्च संयुगे। असंशयं कर्मगुणो दया दयं सना गयज्ञैर्मुनि भि श्च पूजि तः ॥ २७॥ (वाल्मीकि रामायण)
वहां व्यूह रचनाकार द्रोण, कर्ण जैसे प्रतापी योद्धा उसके कौशल को देख अत्याधिक प्रभावित हैं. यहाँ यह किशोर जहाँ हनुमान जैसे प्रतापी से युद्धरत होकर वीरगति को प्राप्त होता है वहीँ अभिमन्यु के सामने तो द्रोण, कर्ण, दुर्योधन इत्यादि सात सात महारथी थे. वह अंत तक लड़कर वीरगति को प्राप्त होता है.
आप सोच रहे होंगे कि मैं क्यों अक्षयकुमार और अभिमन्यु को तौल रहा हूँ, जबकि अक्षयकुमार तो अधर्म के साथ खड़ा था और अभिमन्यु धर्म के साथ... मैं कहूंगा, अक्षयकुमार भी अपने धर्म का पालन आकर रहा था, घर में घुस आये अज्ञात शत्रु से लड़ रहा था. तब उसका धर्म यही था और उसने उसका पालन अपने मृत्यु तक किया.
अक्षयकुमार रावण का सबसे छोटा पुत्र था और मंदोदरी के गर्भ से जन्मा था. एक कथा अनुसार वह रावण की दूसरी पत्नी धन्यमालिनी की कोख से जन्मा था. बाल्मीकि रामायण अनुसार वह बहुत ही पराक्रमी योद्धा था और मात्र सोलह की उम्र में उसने समस्त अस्त्र शास्त ज्ञान प्राप्त कर लिए थे. शुक्राचार्य के दिए वेद पुराण ज्ञान से वह पिता की ही तरह प्रकांड पंडित बन गया था. बाल्मीकि रामायण अनुसार अक्षयकुमार का युद्ध कौशल देख हनुमान बड़े प्रभावित थे और वाल्मीकि रामायण में इसे ऐसे बखान किया गया है :
ततः शरैर्भि न्नभुजा न्तरः कपिः कुमा रवर्येण महा त्मना नदन्।
महा भुजः कर्मवि शेषतत्त्ववि द् वि चि न्तया मा स रणे परा क्रमम्॥ २५॥
इतने ही में महा मना वी र अक्षकुमा र ने अपने बा णों द्वा रा कपि श्रेष्ठ हनुमा न जी की दो नों भुजा ओं के मध्यभा ग–छा ती में गहरा आघा त कि या । वे महा बा हु वा नरवी र समयो चि त कर्तव्यवि शेष को ठी क-ठी क जा नते थे; अतः वे रणक्षेत्र में उस चो ट को सहकर सिं हना द करते हुए उसके परा क्रम के वि षयमें इस प्रका र वि चा र करने लगे- ॥ २५ ॥
अबा लवद् बा लदि वा करप्रभः करो त्ययं कर्म महन्महा बलः ।
न चा स्य सर्वा हवकर्मशा लि नः प्रमा पणे मे मति रत्र जा यते॥ २६॥
‘यह महा बली अक्षकुमा र बालसूर्य के समा न तेजस्वी है और बा लक हो कर भी बड़ों के समा न महा न् कर्म कर रहा है। युद्धसम्बन्धी समस्त कर्मों में कुशल हो ने के का रण अद्भुतद्भु शो भा पा ने वा ले इस वी र को यहाँ मा र डा लने की मेरी इच्छा नहीं हो रही है।॥ २६॥
अयं महा त्मा च महां श्च वी र्यतः समा हि तश्चा ति सहश्च संयुगे। असंशयं कर्मगुणो दया दयं सना गयज्ञैर्मुनि भि श्च पूजि तः ॥ २७॥
‘यह महा मनस्वी रा क्षसकुमा र बल-परा क्रम की दृष्टि से महा न् है। युद्ध में सा वधा न एवं एका ग्रचि त्त है तथा शत्रु के वेग को सहन करने में अत्यन्त समर्थ है। अपने कर्म और गुणों की उत्कृष्टता के का रण यह ना गों , यक्षों और मुनि यों के द्वा रा भी प्रशंसि त हुआ हो गा , इसमें संशय नहीं है।। २७॥
परा क्रमो त्सा हवि वृद्धमा नसः समी क्षते मां प्रमुखो ऽग्रतः स्थि तः । परा क्रमो ह्यस्य मनां सि कम्पयेत् सुरा सुरा णा मपि शी घ्रका रि णः ॥२८॥
‘परा क्रम और उत्सा ह से इसका मन बढ़ा हुआ है। यह युद्ध के मुहा ने पर मेरे सा मने खड़ा हो मुझे ही देख रहा है। शी घ्रता पूर्वक युद्ध करने वा ले इस वी र का परा क्रम देवता ओं और असुरों के हृदय को भी कम्पि त कर सकता है॥ २८॥
(साभार : ramcharit.in )
हालाँकि मानस में अक्षयकुमार की वीरता का कोई बखान नहीं है और जितनी डिटेल में महाभारत में अभिमन्यु के कौशल और वीरता का बखान है उतना वाल्मीकि रामायण या अन्य किसी में अक्षयकुमार का नहीं है. स्वाभाविक भी है. वह एक राक्षस कुमार था अनैतिक रावण का पुत्र था. किसी भी महाकाव्य में एंटी हीरो की तारीफें स्वाभाविक रूप से कम ही होंगी, किन्तु जितना भी बखान है वो अनायास ही अभिमन्यु की याद दिला देता है. एक किशोर का अपने परिवार हेतु अपने प्राणों को न्यौछावर कर देना कितना अद्भुत है!
Wednesday, August 16, 2023
शौर्य गाथा 68.
हम घर का सामान लेने जा रहे हैं। भाईसाहब ने तुरंत ही कैप पहन लिया है "पापा देखो मैं तो पुलिस अंकल बन गया हूं!" कैप पहनना और अपने को पुलिस अंकल कहना आजकल इनका फेवरेट काम है लेकिन कैप पहनने के बाद उसे इतना नीचे कर लेते हैं कि आगे वाला हिस्सा (Visor) इनकी आंखों के सामने होता है। इन्हें सही से दिखता नहीं है, इसलिए फिर सिर उठाकर चलते हैं।
Friday, August 11, 2023
शौर्य गाथा 66.
भाईसाहब के पास सब है जिसकी जिद करते हैं... पापा उन्हें दिलाते रहते हैं, मम्मा डांटती रहती है कि "आप सारी जिद मान लेते हैं... ऐसे सारी जिद थोड़ी न पूरी की जाती हैं... उसे 'न' सुनना भी सीखना होगा ना!"
Thursday, August 10, 2023
विभीषण की कहानी : घर का भेदी...
Wednesday, August 9, 2023
शौर्य गाथा 65 : First Click by Him!
Sunday, August 6, 2023
शौर्य गाथा 64 : प्रेम
Friday, August 4, 2023
शौर्य गाथा 63 : Days of Innocence #p3
Tuesday, August 1, 2023
शौर्य गाथा 62: पापा ती येलो वाली धड़ी
पापा की भाईसाहब को सुलाने की कोशिश हो रही हैं, उनके चेहरे से नींद नदारद है। भाईसाहब चिल्लाना शुरू करते हैं "पापा ती येलो वाली धड़ी ताहिए। येलो धड़ी..." और रोना चिल्लाना शुरू हो जाता है। पापा बेचारे अपनी सभी घड़ियां उनके पास रख देते हैं, लेकिन उनमें कोई से भी "येलो धड़ी" नहीं है। भाईसाहब अपना शोर जारी रखते हैं। मम्मा लेटी हुई है, बेचारी आधी नींद में से उठ जाती है।