Wednesday, August 10, 2022

भोपालनामा 5

 हम कितना ही क्या सीख रहे हैं अपनी गलतियों से? कब-कब तो हमने क्या-क्या नहीं झेला है? 2 3 दिसंबर 1984 की काली रात ठीक 37 साल पहले 3000 से अधिक जिंदगियां लील गई. 10,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया और हमें एक ऐसा दर्द दे गई जिसे हम हर साल याद कर आंसू बहाते हैं.

भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट में हुए इस हादसे में मीथिल आइसोसाइनाइड ( methyl isocyanate (MIC)) गैस का रिसाव हुआ था. उस रिसाव की वजह से कई बच्चे यतीम हो गए, कई लोगों ने अपने घर के चिराग को दिए, कई लोगों ने अपनी आंखें खो दी, अपंग हो गए और इसका असर आज भी भोपाल के उन प्रभावित लोगों में देखा जा सकता है.
हादसे के बाद दोषी देश से भाग गए. सरकार ने अपनी 'सरकारी' कोशिशें की. यूनियन कार्बाइड ने केंद्र सरकार को 470 मिलियन डॉलर देने का वादा किया किंतु उसका एक बहुत छोटा हिस्सा ही उन पीड़ितों के पास पहुंच पाया. अफसोस! वह भी स्व. अब्दुल जब्बार जैसे लोगों द्वारा ताउम्र त्रासदी प्रभावितों के लिए लड़ाई लड़ने के बाद!
2 दिसंबर को हम #NationalPollutionControlDay भोपाल गैस त्रासदी की दुखद याद में ही मनाते हैं कि हम समझदार हों, सतर्क हों, कि अगली दफे ऐसी कोई घटना हमारे साथ घटित ना हो. लेकिन क्या वाकई हम सारी घटनाओं से सीखते हैं? चेतते हैं? क्या वाकई हम अभी चेते हुए हैं? यह सोचना होगा.
डच आर्टिस्ट Ruth Kupferschmidt द्वारा भोपाल में बनाए गैस त्रासदी मेमोरियल के नीचे लिखा हुआ है:-
"No Hiroshima, No Bhopal.
We Want to Live"
लेकिन अफ़सोस हर वर्ष ही ऐसा कोई हादसा हो ही जाता है.