Saturday, August 26, 2023

Papa's Letters to Shaurya. #SecondLetter

 


तुम स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम की तैयारी कर रहे हो। यूट्यूब से वीडियो देख वाकई बहुत अच्छा कर रहे हो। हम दोनों तुम्हें देख रहे हैं और हमारे लिए बड़ा इमोशनल मोमेंट होता है। तुम्हारा डांस, हर एक एक्ट, हरकत वाकई बहुत प्यारी है। हम दो-तीन बार तुम्हारे वीडियो बनाते हैं। 

14 अगस्त को कल्चरल प्रोग्राम है, तुम स्कूल पहुंचते ही रोने लगते हो, हमेशा की तरह। मैं कोशिश करता हूं पर तुम चुप ही नहीं होते। पहला परफॉर्मेंस प्ले के बच्चों का ही है और तुम रोते हुए स्टेज पहुंचते हो। मैं इमोशनल हो जाता हूं और तुम्हें स्टेज से उतार गोद में ले लेता हूं।

ऐसा अक्सर होता है, हमारे पूर्व की तैयारी अच्छी होती है पर कभी-कभी मुख्य परफॉर्मेंस के समय ऐसा नहीं हो पाता... कभी-कभी कुछ-कुछ Unexpected घट जाता है, जिसके लिए हम तैयार नहीं होते हैं।

ऐसा इस तरह का है जैसे Fully Prepared सचिन का टेनिस एल्बो के कारण खेल नहीं पाना या किसी डांसर के पैर में परफॉर्मेंस से पहले चोट आना।

तुम बड़े हो जाओगे तो समझोगे कि जिंदगी जीत नहीं है, हमेशा बेहतर परफॉर्मेंस नहीं है, हमेशा फॉर्म में रहना नहीं है। जिंदगी अपने Highs और Lows को एंजॉय करना है। दोनों जगह पर, दोनों बार कुछ-कुछ सीखना है। Lows में बेहतरी की नई कोशिश और Highs में बेहतरी की और अधिक कोशिश!

मुझे मेरी पहली परफॉर्मेंस याद है। मैं तब करीब 4 साल का था। (तुम ढाई साल के भी नहीं हो, शायद तुम्हें याद भी ना रहे।) स्कूल में परफॉर्मेंस थी। मुझे "मछली जल की रानी है..." स्टेज पर जाकर बोलना था। मैं स्टेज पर बस सर खुजलाता रह गया। मैं भूल ही गया कि क्या बोलना था। कुछ दूर पर अतिथि के रूप में स्टेज पर बैठे तुम्हारे दादाजी से बोलता हूं कि "पापा, सर खुजला रहा है।" और वो हंसने लगे। जबकि ऐसा था भी नहीं। बस नर्वस होने के कारण ऐसा कर रहा था।

तुम्हारे दादाजी ने इस घटना का जिक्र कभी किया नहीं और स्कूल में मुझे बिल्कुल Stage Fear नहीं था। अच्छा स्टेज परफॉर्मर था। 

Lows शायद किसी धावक का दौड़ने के पहले झुककर अपना पैर पीछे करना है। Highs एक सीढ़ी चढ़ अगले की पुनः तैयारी करना है।

ओशो अपने प्रवचन में कहते हैं कि "भगवान महावीर ने कहा है आप जैसा/जो बनना चाहते हैं वैसा/वो सोचना शुरू कर दो।" मजेदार बात ये है कि 2600 साल बाद ब्रह्माकुमारी सिस्टर शिवानी भी बिल्कुल यही बात बोलती हैं।

दौ हजार छः सौ साल बाद भी फिर से वही बात क्यों बोलनी पड़ रही है? ज्ञान का पुनः प्रसारण क्यों जरूरी है? एकाग्रता क्या है? किसी और पत्र में बताऊंगा...

तुम्हारे पापा

#शौर्य_गाथा #Shaurya_Gatha