Sunday, June 25, 2023

शौर्य गाथा : 7 Days Without Mamma #Day2


पापा के ऑफिस से आते ही भाईसाहब चिपक गए हैं। जैसे पापा मम्मा दोनों का प्यार समेट लेना चाहते हों। जैसे कह रहे हों "I missed you, Papa" दिनभर उन्होंने बालकनी, कमरा, बाथरूम, झूले पर शायद मम्मा को ढूंढा होगा...

पापा उनके साथ खेलने लगते हैं, थोड़ा घुमाते हैं, पापा खुद थके हुए हैं तो लेट जाते हैं। भाईसाहब घरभर में घूम रहे हैं, दिन में नहीं सोए हैं तो नाना नानी सुलाने की कोशिश करते हैं और ये "टीवी देखना..." कह जोर जोर से रोने लगते हैं। आधे घंटे टीवी दिखाने के बाद पापा उन्हें सुलाने की कोशिश कर रहे हैं... "एक डायनासोर था... एक बेबी एलीफेंट था... एक टाइगर कब (Cub) था..." और जाने क्या क्या कहानियां... भाईसाहब "मम्मा... मम्मा..." कह सो जाते हैं।

रात (या सुबह) साढ़े चार बज रहे हैं... भाईसाहब यकायक से जाग जाते हैं... शायद कोई सपना देखा है। फिर "मम्मा के पास जाना है, मेरी मम्मा के पास जाना है..." कह बहुत तेज रोना शुरू कर देते हैं। इतना सारा कि देखने वाले के आंसू आ जाएं।

मनाने की पूरी कोशिश जवाब दे चुकी हैं। मम्मा को वीडियो कॉल लगाया जाता है। मम्मा डरी हड़बड़ाई सी उठी है, इतनी रात को कॉल देखकर... भाईसाहब को समझा रही है... "बेटा सो जाओ, सुबह आ जायेंगे... ऑफिस में बहुत काम है ना..." समझाते समझाते चुपके से खुद के आंसू पोंछ रही है।

भाईसाहब थोड़ा चुप होते हैं...पापा कंधे पर ले झुलाते हुए 'आओ तुम्हें चांद पर ले जाएं...' गाना सुनते हुए सुलाते हैं... तकरीबन साढ़े पांच बजे सोते हैं।

मम्मा अभी भी जाग रही है, पापा फोन लगाते हैं, वो लगभग रो देने वाली है... न शौर्य को आसान है, न मम्मा को...

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