Saturday, December 17, 2022

Avatar and Beyond...

 


अवतार पूरी ट्रिब्यूट लगी थी अमेरिका एशिया अफ्रीका के लिए, जब पहली बार 2009 में देखा था. उस वक्त कोलोनियल हिस्ट्री की इतनी समझ नहीं थी. लेकिन जो थी, जितना समझता था वह मेरे दृश्य पटल पर उग आ रहा था. 

 नॉर्थ अमेरिका... मरते नेटिव रेड इंडियंस, बढ़ती यूरोपियन कॉलोनीज, खनिज, अयस्कों का दोहन, वनों की सफाई... वाइल्डलाइफ का धीमा खात्मा...

अफ्रीका... गोल्ड कोस्ट (Gold Coast), आइवरी कोस्ट (Ivory Coast) , स्लेव कोस्ट (Slave Coast), ग्रेन कोस्ट (Grain Coast)... साउथ अफ्रीका... 20% गोरों के पास 80% भूमि... 80% संसाधन (Resources)...

इंडिया...लूट खसोट, मार-काट... 1857 विद्रोह... बहादुर शाह जफर के बेटों के थाली में परोसे गए सिर... निर्माण हत्याएं... तीर कमान लिए लड़ते, ब्रिटिश गोलियों से भूने जाते हजारों संथाल... मात्र 17 साल के लड़के खुदीराम बोस का फांसी पर झूलता मृत शरीर... और जाने क्या-क्या...

अवतार में पंडोरा ग्रह वासियों का जो प्रकृति से कनेक्शन था वह मुझे अफ्रीका के ट्राइब्स का... भारतीय संस्कृति का, नेटिव इंडियंस का प्रकृति के अत्यधिक करीब होना याद दिला रहा था...

अवतार एक बहुत बड़े कैनवास पर बनाई गई कोई पेंटिंग सी है. जो नीले रंग में कोलोनियल हिस्ट्री में झेली यातनाओं के सुर्ख लाल रंग को बखूबी प्रदर्शित करती है.

अवतार-2 (Avatar: The Way of Water) उस कैनवास का एक्सपेंशन बस लगती है. इसलिए जब मेरे साथ फिल्म देखने गई मेरी सासू मां कहती हैं कि 'मुझे ज्यादा समझ नहीं आ रही है' तो मैं बस कहता हूं कि :जो नीली आकृतियां हैं उन्हें भारतीय मान लीजिए और जो इंसानी आकृतियां हैं उन्हें ब्रिटिश राज... अपको समझ आने लगेगा.'

 मैं कटनी में हूं. फिल्म देख कर बाहर निकलते लॉर्ड स्लीमन आंखों के सामने दिखने लगता है. लाशें... पेड़ के दोनों ओर लटकी ठगी बंजारे पिंडारियों की कई सौ लाशें... कटनी का मुड़वारा स्टेशन आंखों के सामने घूमने लगता है... 1857 के विद्रोहियों के इतने नरमुंड पेड़ों पर लटके पड़े हैं कि इस जगह का नाम ही मुड़वारा पड़ गया है! विजयराघौगढ़ किले में धंसी गोलियां... लाशों से बना टीला... राजा सरजू प्रसाद सिंह का मृत शरीर... सब आंखों के सामने घूम गया है.

अवतार, अवतार-2 बस ग्राफिक्स, विजुअल्स के लिए ही नहीं देखी जानी चाहिए. ये फिल्में डॉक्यूमेंटेशन है मनुष्यता के साथ किए गए अपराध का, मानव के लालच का, दासप्रथा का, जुल्मों का और उससे अधिक उठ खड़े होने वाले उन चंद लोगों का जो जुर्म के खिलाफ खड़े हुए लड़े भिड़े और अनजान मौत ही मर गए.