Tuesday, November 7, 2023

Papa's Letters to Shaurya #seventhletter #God

 


प्रिय शौर्य,

मैं नींद को त्यागता हूं तो लिख पाता हूं. मैं स्वयं को त्यागता हूं तो मंदिर तक पहुंचता हूं, नहीं तो बाहर से ही कई बार लौटा हूं. मैं तुम्हारी मम्मा के साथ होता हूं तो कुछ और होता हूं... यही प्रेम है. एक अजनबी दुनिया में रह रहा हूं जो इतनी पुरानी है कि मेरा जीवन उसका नैनो सेकंड (उससे भी कई गुना कम) है और इतनी अनसर्टेन की कब खत्म हो जाए पता ही नहीं. किंतु इस छोटे से काल का भी अतीत है! एक भविष्य है! इसलिए जीवन बीमा कराया हुआ है. स्वयं के कुछ होने के मुगालते पाले हुए हैं. बैर बांधे हुए हैं, मित्रताएं निभाई जा रही हैं. इस उम्मीद में की एक दिन तुम पढ़ोगे और वो माइक्रो-चैंजेज़ जो मुझमें होने थे, समय पर नहीं हो पाए, तुममें आएंगे... ये पत्र लिखे जा रहे हैं. इस दुनिया की उम्र को देखें तो एक नैनो सेकंड की जिंदगी की कितनी ख्वाहिश हैं! यही जिंदगी है. 

राह दिखाने हम जिस मनुष्य को खोज करके लाए थे वो 'अप्पो दीपो भव' कह चला गया. उसने जो मार्ग दिखाया उसके मानने वालों ने उसी मार्ग में पत्थर रख दिए और अपनी कामेच्छाओं की पूर्ति हेतु चल दिए! 'मारा' जिसका कुछ न बिगाड़ सका उसके अपनों ने बिगाड़ा...! जिसका अहसास उन्हें पहले से था, इसलिए वह अपना मार्ग पुनीत (sacrosanct) बताएं बिना 'अप्पो दीपो भव' कह चले गए. बरसों बाद ऐसे ही जब जद्दू (J. Krishnamurti) को लोगों ने ईश्वर बनाना चाहा तो वह इन्हीं के सच्चे शिष्य (true disciple) बनकर उभरे और सीधा कहे "ना मैं अवतार, ना तुम. ना कोई सक्सेसर, ना कोशिश करना तुम. ढूंढो, मुझमें जो मिले सो ले लो, फिर खुद को खोज़ लो! मिल जाए तो अच्छा, न मिले तो तुम जानो."

ऐसे ही दाजी (Heartfulness Guide) कहते हैं " concentrate within... light is within you... meditate, be pure..." ...और दाजी के परम भक्तों को मैंने झमेले का झोला टांगे पाया है.

मैंने कई क्षमावानियाँ की. प्रण किए कि "सबसे क्षमा, सबको क्षमा" और कइयों को माफ नहीं कर पाया, कई जगह पर तो खुद को भी नहीं!

मैं आचार्य विद्यासागर जी के बिल्कुल पास तक गया वह मुस्कुराए मैं भाव्हाल्वित था. मुझे वह ईश्वर से लगते हैं किन्तु कितना कुछ है जो उनसे सीखे बिना मैं उनके व्यक्तित्व से ही विभोरित हो गया!

मुझे हमेशा से लगता है कि ईश्वर नहीं है या था तो किसी नवजात कि मृत्यु के साथ ही बहुत पहले मर चुका है. इसलिए उसे प्राप्त करना व्यर्थ है. किंतु रह-रह कर शाक्यमुनि ने जो कहा वही शाश्वत सत्य लगता है- 'अप्पो दीपो भव' और स्वयं को प्रकाशित कर स्वयं से, स्वयं को, स्वयं में खोजना ही तो सबसे मुश्किल है.

इस नैनो सेकंड जिंदगी के इतने सारे झमेले! एक दिन बड़े होकर तुम भी समझोगे...

तुम्हारे पापा.

Photo: My Little Monk(ey).

#शौर्य_गाथा #Shaurya_Gatha 86.