Monday, March 16, 2015

टुकड़े

इस शहर में तेरी आत्मा बसती है
तू नुक्कड़, चौराहे हंसती दिखती है.
-*-

हौसलों की बारिश में कोई कमी नहीं
बाप के काँधे हैं, माँ की दुआयें हैं.
-*-

कौन कहता है रौशनी अच्छी लगती है,
तेरे बगैर सहर कोहरे में डूबी लगती है.
-*-

मेरे मुक़द्दर मुझसे बस एक वफ़ा करना,
उस बेवफा को मुकम्मल घर अदा करना.
-*-

मियाँ इस तरह से अजीबो-गरीब शे'र न पढ़ा करो
ग़ालिब, फैज़ की मिलकियत पे वाज़िब हक़ अदा करो.
-*-

मैं वारिस हूँ फैज़ का मुझे लूटोगे क्या,
मेरा हर नगमा तुम्हारी जुबाँ पे बिखर जायेगा.
-*-

तुम्हारे फेंके पत्थरों का शुक्रिया,
मैंने सीढ़िया बनाई औ' आसमां छू लिया.
-*-

प्यास लगे तो तुम मेरा वजूद पी लेना,
माँ ने कहा था पानी साफ़ पीना चाहिए.

"Why do we even try? When the barriers are so high, and the odds are so low? Why don't we just pack it in and go home? It'd be so, so much easier...

It's because in the end, there's no glory in easy. No one remembers easy. They remember the blood, and the bones, and long, agonizing fight to the top. And that, is how you become legendary
" - Grey's Anatomy, Season 11, Episode 14.