Friday, November 18, 2022

शौर्य गाथा : बाइक


 

भाईसाहब का पर्सनल गैराज है. इसमें इतनी गाडियां हैं जितनी पापा मम्मा के पास मिला कर भी नहीं हैं. एक घोड़ा भी है जिसपर भाईसाहब कभी कभी हॉर्स राइडिंग पर निकलते हैं, एक हाथी भी है जो मॉल में जोर- जोर से 'हाती ददा...', 'हाती दादा...' चिल्ला-चिल्लाकर रोकर खरीदा गया है. यह दौड़ता नहीं है, लेकिन भाईसाहब इसे रेंगा जरूर लेते हैं. बाकि की गाडियां, ट्राइसिकिल, बाइसिकिल इत्यादि के अलावा अब डिमांड एक बाइक की है. चाचू ने 'बडूम... बुडूम...' की आवाज निकाल गाड़ी-गाड़ी कहना सिखा भी दिया है. भाईसाहब एक बार टेस्ट ड्राइव भी ले चुके हैं. अब बस एक बार और मॉल जाने की दरकार है और फिर वही रो-रोकर चिल्लाकर ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाएगी और इनके गैराज में बाइक का भी इज़ाफ़ा हो जाएगा.

#शौर्य_गाथा

शौर्य गाथा : लिखना


 

पापा कुछ लिख रहे हैं इसलिए भाईसाहब पास आ गए हैं. अब उन्हें भी लिखना है. उन्हें कॉपी पेन दे दिया गया है, अब पापा लिखना छोड़ उन्हें देख रहे हैं. पापा ने उनका हाथ पकड़ा और अपना नाम लिख दिया और कहा कि 'अब आप लिखिए.' भाईसाहब ने अपनी भाषा में कुछ लिखा है, जो पापा का नाम तो बिलकुल नहीं है. जिसे पढ़ने शायद भगवान को धरती पे उतरना पड़ेगा.


खैर, अब उन्हें दूसरा पन्ना चाहिए. पहले वाले पे पूरा लिख चुके हैं, या यूं कहें कि लिखकर ऊब चुके हैं. खुद से कॉपी को पलटा जाता हैं. पापा मना करते हैं, भाईसाहब गुस्से का इज़हार करते हैं. पापा उन्हें समझाते हैं कि पेपर पेड़ से बनते हैं और पापा पेड़ बचाते हैं इसलिए पेज खराब मत कीजिए. लेकिन भाईसाहब गुस्से में 'मम्मा... मम्मा...' चिल्लाकर 'बैकअप फोर्स' मंगाने लगे हैं. थककर पापा ने पन्ना उलट के दूसरा पन्ना भी सुपुर्द-ए-भाईसाहब कर दिया है.

अब भाईसाहब दूसरा पन्ने पे भी अपनी भाषा में कुछ लिखकर बहुत खुश हैं. हंस रहे हैं.

पापा इसलिए खुश हैं कि बैकअप फोर्स आने के पहले ही उन्होंने स्थिति सम्हाल ली है और आज दीवारें भी उच्च स्तर की पेंटिंग का कैनवास बनने से बच गईं हैं.

#शौर्य_गाथा