Thursday, April 6, 2023

शौर्य गाथा : Transfers

 


भाईसाहब के अभिन्न मित्र हैं- अनन्या दीदी, परी दीदी, उन्नी दीदी, मिन्सी दीदी आदि. इनसे 3 से 6 साल बड़े हैं. भाईसाहब सबके साथ खेलते रहते हैं, उन्हीं के हाथ से खाते हैं, उनसे ही लड़ते हैं. छुपन-छुपाई इनका प्रिय खेल है. कभी कभी भाईसाहब मॉन्स्टर बन जाते हैं और अनन्या दीदी, उन्नी दीदी इनके टॉय बेबीज़ को मॉन्स्टर से बचाते हैं. 

कभी इनके टेंट हाउस में पिज़्ज़ा की डिलीवरी वाला गेम होता है. "शौर्य अब हमें भूख लग आई है चलो पिज़्ज़ा खायेंगे." और फिर झूठमूठ का फोन लगाया जाता है और पिज़्ज़ा का ऑर्डर दिया जाता है. "नॉक... नॉक..." की आवाज निकाली जाती है. "कौन है?" "अच्छा पिज़्ज़ा, पैसे लीजिए, पिज़्ज़ा दे दीजिए." इस तरीके का क्यूट सा खेल है. पापा मम्मा चुपचाप बाहर से देखते रहते हैं.

इनके फ्रेंड्स के मम्मा/पापा का ट्रांसफर हो गया है. अब वे जा रहे हैं.

बेचारे मम्मा पापा इसी उधेड़बुन में हैं कि आगे अब वे किसके साथ खेलेंगे... क्या जो नए लोग आएंगे उनके इतने छोटे बच्चे होंगे? क्या वे फैमिली लेकर आयेंगे? क्या भाईसाहब नए लोगों से घुलमिल पाएंगे?

लेकिन ये हर 3 साल की समस्या होने वाली है. हर बार नए लोग, नई जगह, नए फ्रेंड्स, आगे नया स्कूल...

बच्चे के लिए ये अच्छा भी है और बुरा भी... कितना, क्या यह उनके बोर्डिंग स्कूल में पढ़े माता पिता को नहीं पता है...

#शौर्य_गाथा