Friday, December 2, 2016

'पेंगोंग सो' से

Pangong Tso lake


बस एक तिहाई मेरी रही
दो तिहाई छीनी गई.
इश्क़ में भारत की रही
अपहृत हो चीनी गई.

तुम्हारे दो तिहाई हिस्से को
एक तिहाई हिस्से की
याद नहीं आती?

मेरे और पड़ोसी के आँगन
को बांटती दीवार
अक्सर बारिश में रो देती है.

उसके दोनों ओर के अग्रभाग 
कभी मिल नहीं पाते.

हालाँकि दोनों ओर को नीला पोता गया है
तुम्हारे पानी जैसा!


*पेंगोंग सो- लद्दाख में एक झील जो एक तिहाई भारत में है और दो तिहाई चीन अधिकृत भारत के हिस्से 'अक्साई चीन' में.

उम्र 25 में बुद्ध



तुम बुद्ध की उम्र तक 
पहुँचते-पहुँचते वैरागी होने वाले हो.
अफ़सोस! मेरे अंदर लौ  उत्पन्न न हुई.

मैंने अपना वक़्त अप्राप्य प्रेम में लगाया,
शुक्र है तुमने खुद को मांजने में.

तुम्हें बुद्ध वहां पहाड़ों में नहीं मिलना था,
न मिला होगा, न मिलेगा.

तुम बुद्ध हो,
अन्तर्निहित बुद्ध है.