Tuesday, August 22, 2023

Papa's Letters to Shaurya. #FirstLetter

 जब भी तुम्हें स्कूल छोड़ने जाता हूं और स्कूल के गेट से ही तुम रोने लगते हो मुझे बहुत स्ट्रांग होना पड़ता है। तुम्हें छोड़ अपनी भीगीं कोरें लिए मैं चुपचाप लौट आता हूं। जब मैं बोर्डिंग गया था बहुत रोया था। हर दिन स्कूल के मेन गेट पर खड़ा होता था, तुम्हारे दादाजी के इंतजार में। तुम्हारे दादा जी बड़े स्ट्रांग थे मैं थोड़ा-थोड़ा धीमे-धीमे बन रहा हूं लेकिन एक बात जो मैं तुम्हारे साथ नहीं होने देना चाहता वह है 'अकेलेपन का एहसास' और बोर्डिंग के शुरुआती दिनों की खरोंचें जो मेरे साथ हमेशा के लिए रह गई है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे साथ भी स्कूल के शुरुआती दिन की यादें आंसू वाली हों। शायद इसलिए भी मम्मा के कहने के बावजूद मैं तुम्हें पकड़ने चला जाता हूं, गले लगा लेता हूं।

लाइफ साइकिल का कॉन्सेप्ट कितना सही है ना! जो हुआ है वह आगे भी होना है और in-between हमें As a Human Grow करना है और इसके बीच हमने क्या क्या गलतियां की हैं हमें हिस्ट्री सिखाती है।
...और इतना कुछ समझ जाने के बावजूद भी यदि आंसू आ रहे हैं तो प्रेम शायद समस्त ज्ञानों के ऊपर है।
पिता कभी अपना प्रेम जाहिर नहीं कर पाते, मां की तरह... हमेशा पापा बनने की कोशिश करते रहते हैं, सख्त बनने की कोशिश... सख्त दिखने की कोशिश... मैं भी सख्त होने की कोशिश कर रहा हूं... अपने आंसू छिपाने की कोशिश कर रहा हूं... लेकिन लिख रहा हूं कि कल जब जता न पाऊं तो तुम समझ सको कि तुम्हारे पापा भी मम्मा की तरह प्यार करते हैं... उतना ही... बिल्कुल उतना ही।
मैंने जो पिताओं के द्वारा लिखे प्रसिद्ध पत्र पढ़े उनमें से एक अब्राहिम लिंकन का है जो उन्होंने अपनी संतान के टीचर के लिए लिखा था... उसका सार मैं एक दिन तुम्हें सुनाऊंगा और दूसरे नेहरू जी के द्वारा इंदिरा गांधी के लिए जेल से लिखे पत्र हैं जो Glimpse of World History नाम से पुस्तक के रूप में जमा किए गए हैं।
मैं भी तुम्हें बताना चाहूंगा कभी कि इतिहास ने क्या-क्या सीख भविष्य के लिए दी थी और क्या-क्या हम अभी तक सीखे नहीं है। इवोल्यूशन की प्रक्रिया में हिस्ट्री का कितना महत्व है बताना चाहूंगा। मैंने जो अबतक जिंदगी से सीखा उसे भी बताना चाहूंगा। शायद समझा भी पाऊं।
तुम्हारे पापा।
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