भाईसाहब कुल जमा 2 साल के हुए हैं लेकिन समझदारी और बोली में कहीं आगे हैं। मीठी सी मिठाई सी शक्ल ऊपर से शर्बत सी बोली, आप उनको देख प्यार किए बिना नहीं रह सकते। आवाज भी धीमे धीमे साफ होती जा रही है। वाक्य भी लंबे लंबे बोलने लगे हैं। मतलब क्यूटनेस और भी बढ़ गई है। मतलब भाईसाहब ' ओवरलोडेड विद क्यूटनेस' हैं। :)
नाना जब भी इनको कुछ काम के लिए बोलते हैं, जैसे "गिलास रख दो", "रैपर डस्टबिन में डाल दो" और जब ये काम कर देते हैं तो इनको "शाबाश! बेटा शाबाश!" कह के शाबाशी देते हैं।
रात 10:00 बज रहे हैं, भाईसाहब की आंखों से नींद नदारद है। ये साइड टेबल से एक समान उठाते हैं और मम्मा को पकड़ाकर बोलते हैं "छाबाछ! मम्मा छाबाछ!"
दूसरा पापा को पकड़ते हैं और कहते हैं "छाबाछ! पापा छाबाछ!
अब इनको धमाचौकड़ी करते हुए 11:00 बज गए हैं। बीच बीच में पापा "वहां तलो" मतलब पापा हॉल में चलो, जिससे मैं धमाचौकड़ी कर पाऊं, कहते रहते हैं। पापा मम्मा लेकिन अनसुना कर देते हैं, इसलिए थककर कहते हैं "पापा पिट्टू थाली (खाली) हो दया (गया) है।" मतलब मैं भूखा हूं, इसी बहाने बाहर ले चलो, लाइट जलाओ, सोने के माहौल से बाहर निकलो, जिससे ऊधम कर सकूं।
पापा मम्मी धीमी आवाज में बहुत हंसते हैं, लेकिन चुपचाप सोने का बहाना कर लेटे रहते हैं, कि ये भी सो जाएं।
भाईसाहब फिर भी नहीं सोते और खुद "नानी तेली मोलनी को..." गाने लगते हैं, साथ ही उछल उछल कर डांस करने लगे हैं। बेचारे पापा के पेट पर धड़ाम से गिरते हैं, पापा बेचारे दर्द से कराह जाते हैं... और भाईसाहब....? भाईसाहब पापा के मुंह की तरफ कोहनी आगे कर कहते हैं "पापा लद दई है.... पुच्ची कल दो... पुच्ची।" पापा कोहनी पर पुच्ची कर देते हैं, भाईसाहब का दर्द ठीक हो जाता है। :D
भाईसाहब का खेल फिर अनवरत चालू रहता है... और लगभग 12:30 पर भाईसाहब फायर इंजन की कहानी सुनते- सुनते सो जाते हैं।
#शौर्य_गाथा