Wednesday, January 17, 2024

मां बिन दो दिन | Part 2


आज पापा के दो ही टारगेट हैं -
एक, दिनभर भाईसाहब मम्मा को याद न करें।
दो, दिनभर में भाईसाहब इतना थक जाएं कि रात में जल्दी सो जाएं।
पापा दिन भर का प्लान बनाते हैं। भाईसाहब सुबह उठते ही मम्मा या पापा बोलते हैं और जिसका नाम लिया उसी की गोदी में आकर ही रूम से निकलते हैं। भाई साहब अभी से इतनी स्पेसिफिक हैं! पापा सुबह 9:30 बजे से ही भाईसाहब के पास में बगल में लेट जा गए हैं, भाईसाहब कल लेट सोए थे तो आज लेट उठने वाले हैं। करीब 10:00 बजे भाईसाहब जागते हैं और बगल में मुस्कुराते पापा दिखते हैं तो खुद ही भी मुस्कुराते हुए "पापा... पापा..." बोलते हैं और गोदी में आ जाते हैं।
चलो पहले पार्ट में पापा को सफलता मिल रही है।
पापा दिन भर में उन्हें क्रिकेट खिलाते हैं। 'तोहली अंतल' बहुत अच्छा क्रिकेट खेल रहे हैं। 300- 400 मीटर दूर एक स्कूल है, वहां तक वॉक पर लेकर चलते हैं। भाईसाहब चलते चलते प्यारी प्यारी बातें कर रहे हैं। पापा को भी 'हैंगआउट विद शौर्य' में मजा आ रहा है। बीच में डॉग मिलता है। भौंकता है। भाईसाहब: "पापा, ये बेड डॉगी है।"पापा दसवीं बार हम्म्म में जवाब देते हैं। भाईसाहब शशि दीदी अच्छी है... पुतरा तेज चलो... मैं तिरतेत खेलता हूं... और जाने क्या-क्या बोल रहे हैं।
शाम में भाई साहब नानू के साथ में बम बम बोले... मस्ती पर डोले... पर डांस कर रहे हैं। भाईसाहब नानू को बता रहे हैं कि "ये ईशान भैया की मूवी का गाना है।" नाना नानी दिनभर से केयर कर रहे हैं। उनका प्यार अद्भुत और अपूर्व है!
हमने मिलकर दिनभर मम्मा की याद नहीं आने दी है। फाइनली 7:00 बजे से हमें लगने लगा कि भाईसाहब को नींद आने लगी...