Wednesday, September 27, 2023

Papa's Letters to Shaurya #SixthLetter


मैं अपने एक मित्र से पूछता हूं "क्या बड़ा होकर शौर्य इन पत्रों को पढ़ेगा? पढेगा तो क्या रिएक्ट करेगा?"


"अरे! वह बड़ा खुश होगा। तुमने बहुत सारी अच्छी बातें उसे समझाने की कोशिश की है।"

मैं मुस्कुराता हूं। उन्हें कितनी भारी पड़ी है ज्ञान से, ढेर सारी किताबों से, शक्यमुनि से लेकर मंडेला तक के उदाहरण से। नोबेल शांति पुरस्कार सम्मानित हर व्यक्ति एक नया उदाहरण रख देता है। फिर भी क्या बदल गए लोग?
अहिंसा! अहिंसा! अहिंसा! समझाते समझाते 1915 से 1947 तक गांधी बत्तीस साल निकल देते हैं और अंत में हिंसा के शिकार होते हैं!

सोचते सोचते मैं अखबार पढ़ने लगता हूं और अखबार में नकारात्मक खबरें पढ़ते-पढ़ते मुझे लगने लगा है कि मनुष्य हिंसा के लिए ही बना है, हिंसा उसका मूल स्वभाव है! जो सीख वो तो महज किताबी ज्ञान है।

लेकिन मेरे कहे को खारिज करने जेहन में कई हजार उदाहरण खड़े हो जाते हैं! मानवता के उदाहरण, उम्मीद के उदाहरण... महज मंडेला ही प्रताड़ित करने वालों को माफ करते दिखते हैं और मानवता की उम्मीद में आंखों में आंसू ले आते हैं।

महज बुद्ध, महावीर ही खड़े होकर 2600 साल पहले Indian Plains (गंगा का मैदानी क्षेत्र) की तस्वीर बदल देते हैं। गांधी सही कहते थे हिंसा कायर है, अहिंसा के लिए मुझे एक व्यक्ति काफी है। लौ की तरह!

सती प्रथा खत्म करते राजा राममोहन राय है, लॉर्ड बेंटिक, दास प्रथा खत्म करते अब्राहम लिंकन, बराबरी का हक दिलाती संविधान सभा, छुआछूत मिटाते अंबेडकर, रंगभेद से लड़ते मार्टिन लूथर किंग जूनियर किसी लौ की तरह दिखते हैं।

पी. साईंनाथ को सुन रहा हूं। वह कहते हैं "I get very offended when people make list of freedom fighters and do not include Baba Saheb Ambedkar. As a freedom fighter he launched the greatest battle on the face of the Earth for human dignity (fight against untouchability). That's freedom (struggle). Justice for all, social, political, economic. That's freedom (struggle). Directive principles of State policy talk about education, nutrition to children. That's freedom (struggle)." [मुझे बहुत दुख होता है जब लोग स्वतंत्रता सेनानियों की सूची बनाते हैं और उसमें बाबा साहब अंबेडकर को शामिल नहीं करते। एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने मानवीय गरिमा (छुआछूत के खिलाफ लड़ाई) के लिए पृथ्वी पर सबसे बड़ी लड़ाई शुरू की। यही आज़ादी (के लिए संघर्ष) है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक सभी के लिए न्याय। यही आज़ादी (के लिए संघर्ष) है. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत बच्चों को शिक्षा, पोषण की बात करते हैं। यही (आज़ादी के लिए संघर्ष) है।]

बाबा अंबेडकर के सारे संघर्ष अहिंसक थे। नीतिगत, कानूनी और नैतिक... और साथ ही 2000 साल के भारतीय इतिहास में में सबसे असरदार और प्रभावी भी!

मानव सभ्यता में वे आंदोलन ही तो महान है जो Human Dignity (मानवीय गरिमा) और Equality (समानता) के लिए लड़े गए हों। इसलिए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन भी, क्योंकि वह एक सामाजिक सुधार आंदोलन भी था।

हजारों उदाहरणों को पढ़ने के बाद तुम भी इस नतीजे पर पहुंचोगे की मनुष्य प्रेम और समरूपता के लिए बना है। प्रेम और महज प्रेम! अहिंसा का मौलिक भाव प्रेम है। मैं भी इसी नए नतीजे पर पहुंचा हूं। बस हिंसा के उदाहरण हमेशा हमें ज्यादा दिखलाए जाते हैं, अखबारों में ज्यादा आते हैं।

यह 2023 है भारतीय पत्रिका के प्रथम पुरुष राजा राममोहन राय ने 200 वर्ष पहले 1822 में मिलात-उल-अखबार निकाल भारतीय पत्रिका को सही अर्थों में प्रारंभ किया था। किसी अन्य पत्र में उनके बारे में भी...

तुम्हारे पापा