Saturday, June 30, 2012

सूरज की उम्र कम है.....

       
                          
                        तुम्हें याद है वो हैंगिंग ब्रिज....जब हाथ पकड़ हम वहां खड़े थे....और वो सूरज, लालिमा लिए ढल रहा था.....तुम्हें याद है ना!!! ढलते सूरज ने उस दिन कुछ लालिमा दी थी मुझे.....यूँ ही उधार. वक़्त  बहुत हुआ वो लेने फिर नहीं आया....शायद उसी ब्रिज पर इंतज़ार का रहा है. उसे क्या पता अकेले मैं वहाँ नहीं जाऊंगा कभी......और तुम साथ होगे नहीं कभी......वो उधार, उधार ही रहेगा!

        चुकाने का कोई और उपाए हो तो बता दो!!

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               अलसाई शाम जब एक तरफ सूरज ढलता है और दूसरी तरफ बसें निकलती हैं तो हमेशा सड़क के बीचों बीच खड़ा मैं सोचता हूँ.....हर बार एक शाम ऐसी क्यूँ होती है जब तुम्हें कहीं और जाना होता है और मुझे कहीं और.....ऐसा क्यूँ है सड़क के दो किनारों कि तरह हमने भी हमारे ऊपर से गुज़र जाने के लिए खाली जगह छोड़ रखी है...जहां से गुजर जाती हैं किसी की इच्छाएं.......तो किसी की उम्मीदें.....

            ऐसा कब होगा जब हमारे अपने मन का भी कुछ होगा...........शायद कभी नहीं......सड़क के किनारे कभी नहीं मिलते, सड़क ख़त्म होने पर भी नहीं!

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               यहाँ पुणे की सुबह भागम भाग में जब मैं भी रेस का हिस्सा बन भागता हूँ तो तुम्हारा चेहरा याद आता है.....ये भाग-दौड़  किसलिए? दो रोटियों, एक घर और कुछ मतलब-हीन लोग तो वहां थे..... तुम्हें पता है अस्तित्व की आग जब भड़कती है तो बड़ी दीर्घ तक जाती है......अस्तित्व की आग छोड़ कर भी में हसरतें पूरी करना चाहता था..... लेकिन ये तो आकाश हैं ना, पार करते चलो, बढती चलेगी.

          सच तो ये है, मेरी हसरत कोई आकाश तो नहीं थी....देखो मेरी हसरत मुझे अब भी तेरा चेहरा याद आ रहा है!

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              तुमने मिल्की-वे तो देखी है ना! देखो उसमें जो सबसे ज्यादा नीला तारा है वो मैं हूँ....देखो बिल्कुल नया है वो, बस कुछ लाख साल पुराना. उसकी भी उम्र है अभी कुछ पढने की, कुछ सिखाया, फिर मेरे जैसे ही सिखाया जायेगा उसे.....हमने समाज बनाया था, और उसे अच्छे से चलाने के लिए कुछ रूल्स. देखो फिर हम अपने ही बनाए रूल्स में उलझ गये ना.....हमें अब समाज चलाने चलना पड़ता है.......और फिर वो भी धीमे-धीमे बड़ा होगा और सीखेगा....समाज के भी कुछ कायदे हैं, नियम हैं, इनके अनुसार चलो. कुछ हज़ार साल बाद देखना वो तारा नहीं रहेगा! अब बस वो समाज का हिस्सा है!

          कल फिर कोई तारा उगने दो...वो नहीं रहेगा जकड़ा. सूरज की उम्र कम है, बस कुछ हज़ार साल...मैं उसे इससे भी लम्बी उम्र दूंगा!!

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                                                             V!Vs***