बीच का अंतर ढहा क्या?
दिल में जमा था, बहा क्या?
एक आईने में मैं,
एक आईने में तुम
एक जैसे अक्स पर
जो मैंने सहा,
तुमने सहा क्या?
हर रोज सुबह मद्धम है,
हर रात ज़रा ज्यादा काली.
मिट्टी के तुम
मिट्टी के हम
फूट तो बस पैसे ने डाली.
बीच का अंतर ढहा क्या?
जो मैंने सहा, तुमने सहा क्या?
मानव तुम, मानव हम,
खाते रोटी तुम, तो हम,
दो कपडे तुम्हें ज़रूरी,
बस दो ही पहने हम.
फिर भी, मन जैसा मेरा
तेरा वैसा रहा क्या?
पैसा-औकात के आगे
सोचने कुछ बचा क्या?
बीच का अंतर ढहा क्या?
जो मैंने सहा, तुमने सहा क्या?