Monday, August 3, 2015

उस शहर, इस शहर


उस शहर के बाहर
जितने भी लोग गए
शहर की याद में मर गए.

इस शहर को
जितने भी लोग आये
इस शहर में रह गए.

उस शहर में कवितायेँ थीं
इस शहर में पैसा.

लोगों ने यादों में उस शहर को चुना,
बसर करने ये शहर.

कवितायेँ निवाला नहीं देती,
कवि भूखे मरते हैं,
पाठक रोटी खाने के बाद ही
पढ़ सकता है ग्रन्थ.

शहर रोटियों से बसते हैं,
कविताओं से नहीं.