सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले को समझ लेना चाहिए कि यह रास्ता शहीद होने का रास्ता है। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर जो कोई इफेक्टिव( परिणामात्मक), काम करेगा वह एक न एक दिन मारा जाएगा। सत्य और अहिंसा का रास्ता दुनिया नहीं सह सकती। बापू जी की जीवनी को देखिये, उन्हें जब दूसरा कोई मारने के लिए तैयार नहीं होता था तो वे अपनी आत्माहुति देने पर तुल जाते थे। अपने मारे जाने के मौके पैदा कर देते थे। अभी मानवता की इतनी प्रगति नहीं हुई है कि सत्य और अहिंसा के रास्ते पर मज़बूती से चलने वाला भी न मारा जाए। आपको अपनी आहुति देने के मौके पैदा करने होंगे। आपकी किस्मत अच्छी होगी तो नहीं मारे जाएंगे। लेकिन शायद मारे जाने पर आप की दैवीशक्ति सफल होगी। अगर कांग्रेस ने कुर्बानी कारास्ता छोड़ दिया तो उसका काम न चलेगा। कुर्बानी का रास्ता गांधी जी दिखा गए हैं। उस हुतात्मा के रास्ते पर हम को चलना है। अगर हम में दम है तो गांधीजी के नाम पर नहीं बिकेंगे। उनकी जो चीज़ हम को जंचेगी उसे लेंगे, जो नहीं जंचेगी उसे छोड़ देंगे। लेकिन सत्य और अहिंसा की राह हरगिज़ न छोड़ेंगे। यही बापू का सच्चा रास्ता है।
-आचार्य जे बी कृपलानी (14 मार्च 1948, यह हिस्सा रवीश कुमार ने आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट से प्रकाशित शहादत का रास्ता से लिया है। 011-23234190)
( रवीश कुमार के ब्लॉग 'कस्बा' से साभार।)