Monday, July 12, 2010

my first 'Triveni'

ये शहर


दिल नहीं, जज्बात भी खोए से लगते हैं,
 आंसू भी पत्थर और बुत बने हैं लोग.

कंक्रीट का जंगल सा लगता है ये शहर.