बलवंत सिंह, मैं तुम्हें कोई हीरो नहीं बनाना चाहता...तुम गुनाहगार थे और हो. तुम सजा के हक़दार हो बस, लेकिन मुझे डर है ये सियासत तुम्हें भी कहीं उसी तरह ही न लटका दे जिस तरह अफज़ल को लटका दिया गया. मुझे डर है की जिंदगियों से खेलने बाले लोग अब सज़याफ्ताओं से खेलना शुरू कर दिए हैं और उन्हें सजा में भी सियासत नज़र आती है. एक गहमागहमी और एक शोर खड़ा करने और लोगों के इमोशंस से खेलने के चक्कर में दंगे कराने बाले लोग कहीं तुम्हें ही न चारा बना दें.
तुम हत्यारे हो और तुम्हें सजा मिलनी चाहिए लेकिन अनैतिक और अमानवीय तरीके से नहीं. सुना है तुम्हारी कौम की भी एक अपनी पार्टी है जो धार्मिक तख़्त भी है....भरोसा उसपे भी मत करना. अगले इलेक्शंस के लिए तुम्हारी मौत प्रदेश की 35% नंगी और 40% अनपढ़ जनता के इमोशंस से खलने उनके काम आयेगी. तुम्हारे लोग भी तुम्हारी मौत चाहेंगे.
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