Saturday, October 14, 2023

जंगल की कहानियां 2.


खबर मिलती है की किसी खेत में टाइगर बैठा है. गुलजार पढ़ रहा हूं और मुझे एहसास होता है जैसे कि 'ओस की रात में ओट में बैठा है चाँद!' राजा के अपने नखरे हैं. वो बैठा होता है अपनी मर्ज़ी से, आता है अपनी मर्ज़ी से, जाता है अपनी मर्ज़ी से! हम बस इंतज़ार कर सकते हैं उसके उठने का!

पहुंचकर खेत मालिक से पूछा जाता है 'खेत में पानी देना होगा शायद?'
'नहीं साब, कछु दिक्कत न है. ई तो बैठत रहे यहाँ पे.'

वाह! कितना आम है इन्हें. एक कहानी तो जंगल के किनारे रहने वालों पर भी कोई फिल्मा सकता है! उनका रहना, बसर करना, ज़िन्दगी में टाइगर का साथ होना! यहाँ के हर गांव में एक चबूतरा है बाहर और वहां पर ईश रूप में टाइगर की मूर्ति बैठी है! मुझे लगने लगा है इन्हीं लोगों ने बचाई है प्रकृति, इन्हीं लोगों ने बचाया, बनाया है जंगल! अब कुछ 'पढ़े लिखे' जरूर इन्हें बरगलाने लगे हैं. कुछ के लिए ये वोट हैं, कुछ के लिए इनकी ज़मीन पर खड़ा हो सकता है जंगल रिसोर्ट! लेकिन इनके अंदर जो बसा है वो है प्रेम... अथाह प्रेम! आप इनके घर चले जाइये कुछ सरकारी नोटिस लेकर! नोटिस तो बाद में लेंगे, पानी पहले पिलायेंगे, पहले ढंग से बिठाएंगे.

एक जगह जाता हूँ, कच्चे तीन किलोमीटर रस्ते के बाद गांव. उस रस्ते में हमें टाइगर के पगमार्क भी मिलते हैं! एक दादा अपनी समस्या सुना रहे हैं. ' बरसात में कट जाता है गांव मुख्य रोड से... गाभिन भी न जा पाती हैं अस्पताल... तनक रोड बनवा देऊ.' इनके घरों के सामने से टाइगर निकलता है रात में और ये चैन से सोते रहते हैं. कभी कभी मवेशी ले जाता है और ये गुस्सा नहीं करते.

' प्रकृति के आप कितना करीब हैं?' टीवी पर कोई सुंदर बाला एडवरटाइजमेंट में पूछती होगी और जवाब देती होगी कि 'ये फलां प्रोडक्ट उपयोग कीजिये, बहुत पास महसूस करेंगे, खुद से प्यार करने लगेंगे!'

भाईसाहब यहां आइये, इनसे मिलिए, इन्हें जानिए. इनका प्रेम देखिये. इनसे मोहब्बत सीखिए. ज़रा सी देर इनके साथ रहिये आप खुद के भी करीब होंगे और प्रकृति के भी. खुद से भी मोहब्बत करने लगेंगे, इनसे भी और प्रकृति से भी!

...तो राजा किसी ओस भरी गीली रात में ओट में छुपे चाँद से बैठे हुए हैं. हम इंतज़ार कर रहे हैं की वे उठें तो लोगों की दैनिक ज़िन्दगी चले!

थोड़ी सी धूप बड़ी है और राजा अपने राजसी ठाठ के साथ खड़े होकर पास लगे जंगल की ओर चल दिए हैं...

मुझे 'कुंवर नारायण' याद आ रहे हैं :

"मैं ज़रा देर से इस दुनिया में पहुंचा
तब तक दुनिया
सभ्य हो चुकी थी
जंगल काटे जा चुके थे
जानवर मारे जा चुके थे
वर्षा थम चुकी थी
और तप रही थी पृथ्वी
चारों तरफ कंक्रीट के
बड़े-बड़े घने जंगल उग आए थे
जिनमें दिखायी दे रहे थे
आदमी का ही शिकार करते कुछ आदमी."

Photo: for reference. Majestic Bengal Tiger tiger captured by my dear friend Sumit Shrivastava