Friday, March 8, 2024

Shaurya Gatha: The book

 इस किताब में ऐसी बहुत सारी जगहें हैं जहां पर आप लिख सकते हैं। पढ़ते पढ़ते अगर आपको कुछ लिखने का मन कर जाए तो लिखिए... किताब का उद्देश्य यही है।

यकीं से कह सकता हूं जब आप इस किताब से बाहर आएंगे तो बच्चों के प्रति थोड़े ज्यादा वात्सल्य से भरे होंगे, थोड़े ज्यादा प्रेमल और कोमल हो चुके होंगे।
बच्चों की दुनिया बरकरार रहे, उतनी ही मासूम रहे, हर बच्चे का बचपन ज्यादा खूबसूरत बने... इसी उम्मीद के साथ यह आप सबको समर्पित...

किताब अब ऑनलाइन अवेलेबल है. खरीदने का लिंक:-

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Thursday, March 7, 2024

शौर्य गाथा 112.

 भाईसाहब की पेंटिंग स्किल्स बेहतर होती जा रही हैं, साथ ही अब वे दीवारों को अपना कैनवास भी कम बना रहे हैं, इसलिए मम्मा पापा ने भी चैन की सांस ली हुई है.

भाईसाहब ने सेंटर टेबल पर crayons से बहुत अच्छी आकृति बनाई है. पापा को ये बहुत प्यारी लगती है "बेटा ये क्या बनाया? अब्स्ट्रैक्ट आर्ट है?"
भाईसाहब: "पापा मैंने अपनी ताल (Car) के लिए लोड (Road) बनाया है. अले! लोड नहीं था न, तो आदे तैसे जाती!!"
भाईसाहब प्यारी सी जुबां में बिलकुल सटीक जवाब देते हैं. पापा उनकी समझदारी देखकर अचरज में हैं!

Friday, March 1, 2024

शौर्य गाथा 111.

 पापा भाईसाहब को सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। "बेटा क्लोज योर आईज़।" पापा बोलते हैं।

भाईसाहब तुरंत आंख बंद कर लेते हैं। फिर पापा से बोलते हैं "पापा, बोलो ओपन योर आईज़।"
पापा बोलते हैं "ओपन योर आईज़।"
भाईसाहब आंखें खोल लेते हैं।
भाईसाहब फिर बोलते हैं "पापा बोलो क्लोज योर आईज़।"
पापा "क्लोज योर आईज़।"
भाईसाहब आंखें बंद कर लेते हैं।
फिर खुद से ही 'ओपन योर आईज़', 'क्लोज योर आईज़' बोल बोलकर, गर्दन मटका मटकाकर आंखें बंद करना, खोलना शुरू कर दिया है।
पापा देख देखकर मुस्कुरा रहे हैं। थककर उन्होंने सुलाने के इरादे त्याग दिए हैं।