Thursday, October 12, 2023

शौर्य गाथा 83


भाईसाहब ने टीवी में देख-देख करके बोलना शुरू कर दिया है कि "पापा मैं पुलिस अंकल हूं." पापा-मम्मा इसे अपॉर्चुनिटी की तरह लेते हैं. भाई साहब से कहते हैं "बेटा पुलिस अंकल सु-सु वॉशरूम में जाकर करते हैं आप भी जाया करना." "ओते पापा" भाईसाहब कहते हैं और अब से हुकेशा ट्राई करते हैं कि पुलिस ऑफिसर के जैसे वॉशरूम में ही सु-सु जाएं.

एक दिन भाईसाहब सामने वाले घर में हैं. उन्हें वहां पर टीवी देखने की छूट है इसलिए उन्हें वहां मजा आता है. भाईसाहब टीवी देखते देखते बोलते हैं "मासी मुझे सु-सु आई." मासी उन्हें वॉशरूम की ओर ले जा रही हैं लेकिन भाईसाहब उंगली से इशारा कर कहते हैं "मैं वहां अपने घल में जाऊंगा." भाईसाहब को अब उनके घर में दौड़ के लाया जा रहा है लेकिन पहुंचते-पहुंचते ही वॉशरूम के गेट पर ही...

पापा भाईसाहब को फ्रेश पैंट पहना रहे हैं. भाईसाहब कहते हैं "पापा अब मैं ऑफिसल नहीं लहा."

पापा उन्हें मुस्कुराते हुए गले लगा लेते हैं. "बेटा जो अच्छा करने का ट्राई करते हैं न, वे सब ऑफिसर होते हैं."

अब भाईसाहब हंसने लगते हैं. पापा मम्मा भी खुश हैं. "मम्मा-मम्मा मैं पुलिस ऑफिसल बन दया... मैंने ट्रालाई तिया ना." भाईसाहब चहकते हुए बोलते हैं. पापा-मम्मा उन्हें प्यार कर रहे हैं.

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